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रघुराम राजन बोले- सरकार का नौकर नहीं होता रिजर्व बैंक का गवर्नर

राजन के मुताबिक, रिजर्व बैंक गवर्नर के अधिकारों की स्पष्ट परिभाषा नहीं होने का सबसे बड़ा खतरा यही है कि ब्यूरोक्रेसी लगातार उसकी शक्तियों को कम करने की कोशिश में रहती है. हालांकि राजन ने कहा कि गवर्ननर की शक्तियों को लेकर मौजूदा सरकार से पहले की सरकारें भी ऐसा करती रहीं है जिससे अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय बैंक की भूमिका कमजोर हुई है.

रघुराम राजन की नई किताब उनके भाषणों और लेखों का संग्रह रघुराम राजन की नई किताब उनके भाषणों और लेखों का संग्रह
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

पूर्व केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि केन्द्र सरकार के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर कोई नौकरशाह नहीं है और उसे नौकरशाह समझना सरकार की भूल है. यह बात रघुराम राजन ने अपनी नई किताब 'आई डू वॉट आई डू' (I Do What I Do) के जरिए रखते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार को रिजर्व बैंक गवर्नर के पद को लेकर अपने रुख में सुधार करने की जरूरत है.

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राजन के मुताबिक, रिजर्व बैंक गवर्नर के अधिकारों की स्पष्ट परिभाषा नहीं होने का सबसे बड़ा खतरा यही है कि ब्यूरोक्रेसी लगातार उसकी शक्तियों को कम करने की कोशिश में रहती है. हालांकि राजन ने कहा कि गवर्ननर की शक्तियों को लेकर मौजूदा सरकार से पहले की सरकारें भी ऐसा करती रहीं है जिससे अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय बैंक की भूमिका कमजोर हुई है.

गौरतलब है कि रघुराम राजन की नई किताब उनके भाषणों और लेखों का संकलन मात्र है. यह किताब पूर्व में केन्द्रीय बैंक के गवर्नर रहे डुवूरू सुब्बाराव की किताब की तरह अपने कार्यकाल का पूर्ण वृत्तांत नहीं है. न ही राजन की इस किताब में पूर्व गवर्नर याग वेनूगोपाल रेड्डी की तरह कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों में पर्दे के पीछे के खेल का खुलासा किया गया है. रेड्डी 2003 से 2008 तक केन्द्रीय बैंक के गवर्नर रहे.

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हालांकि अपनी किताब के प्रस्तावना और कुछ लेखों के परिचय के जरिए रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए कुछ अहम फैसलों पर अपना मत देते हुए समझाने की कोशिश की है.

आर्थिक मजबूती के लिए स्वतंत्र RBI जरूरी

 

रिजर्व बैंक में अपने कार्यकाल के आखिरी दिन राजन ने कहा था, ‘भारत को वृहद आर्थिक स्थायित्व के लिए मजबूत और स्वतंत्र रिजर्व बैंक की आवश्यकता है, जो कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.’ राजन ने कहा, ‘ऐसे परिवेश में जहां केन्द्रीय बैंक को समय-समय पर केन्द्र और राज्य सरकारों के शीर्ष स्तर के खिलाफ मजबूती से डटे रहना पड़ता है, मैं अपने पूर्ववर्ती गवर्नर डा. सुब्बाराव के शब्दों को याद करता हूं. जब उन्होंने कहा था कि वित्त मंत्री एक दिन यह कहेंगे कि मैं रिजर्व बैंक से अक्सर परेशान होता हूं, इतना परेशान कि मैं बाहर सैर पर जाना चाहता हूं, चाहे मुझे अकेले ही जाना पड़े. लेकिन भगवान का धन्यवाद है कि रिजर्व बैंक यहां है.’ राजधानी दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में एक सभा को संबोधित करते हुए राजन ने कहा, ‘सेंट्रल बैंक का काम उतना आसान नहीं, जितना दिखता था और निश्चित रूप से यह ब्याज दरों को घटाने-बढ़ाने भर का तो बिल्कुल ही नहीं था.’

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बैंकों की स्वतंत्रता जरूरी

राजन ने आगे कहा कि कामकाज के बारे में फैसले लेने की स्वतंत्रता रिजर्व बैंक के लिए महत्वपूर्ण है. राजन ने व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए केंद्रीय बैंक के परिचालन में स्वतंत्रता की बात की. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘रिजर्व बैंक को सरकार द्वारा तय एक ढांचे के तहत सदा ही वित्त मंत्रालय के परामर्श के साथ काम करना है और वह सभी बाध्यताओं से मुक्त नहीं हो सकता.’

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RBI के लाभ से नहीं बनेगा बजट

राजन ने यह भी कहा था कि रिजर्व बैंक द्वारा अपने लाभ में से सरकार को विशेष लाभांश देने से बजट की समस्या दूर करने में मदद नहीं मिलेगी. राजन ने कहा, ‘होता यह है कि हर समय कई सरकारी एजेंसियां रिजर्व बैंक की गतिविधियों पर नजर रखने पर जोर देती हैं. कई स्तरों पर जांच-पड़ताल होती है और विशेष तौर पर ऐसी एजेंसियां यह करती हैं, जिन्हें तकनीकी मामलों की समझ नहीं होती है, इससे केवल निर्णय प्रक्रिया को ही नुकसान होता है. बजाय इसके सरकार द्वारा नियुक्त रिजर्व बैंक बोर्ड को जिसमें कि पूर्व अधिकारी, सरकारी अधिकारी और सरकार द्वारा नियुक्त लोग होते हैं, उसे ही निगरानी की भूमिका निभानी चाहिए.’

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स्पष्ट को बैंक की शक्तियां

राजन ने कहा था कि भारत के लिए वृहद आर्थिक स्थायित्व काफी महत्वपूर्ण है और इस मामले में जब भी स्थिति की जरूरत हो, तो केन्द्रीय बैंक के पास संसाधन, ज्ञान और पेशेवर लोग होने चाहिए. उन्होंने कहा कि वृहद आर्थिक स्थायित्व के लिए भारत को मजबूत और स्वतंत्र रिजर्व बैंक की आवश्यकता है. राजन ने कहा कि जब रिजर्व बैंक की जिम्मेदारियों के बारे में बातें अस्पष्ट हों, तो उसके कदम को लेकर लगातार सवाल उठते रहेंगे. उन्होंने कहा कि वृहद आर्थिक स्थिरता के मामले में रिजर्व बैंक की भूमिका अभी भी स्पष्ट नहीं है.

 

 

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