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टाटा ग्रुप ने मिस्त्री के आरोपों को नकारा, कहा- कंपनी के साथ 6 लाख कर्मचारियों का भरोसा

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. मिस्त्री ने आरोप लगाया है कि उन्हें चेयरमैन रहते हुए काम करने की पूरी आजादी नहीं थी. टाटा संस ने साइरस मिस्त्री के आरोपों को बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है.

कंपनी का दावा है कि बोर्ड में मिस्त्री को लेकर असंतोष था कंपनी का दावा है कि बोर्ड में मिस्त्री को लेकर असंतोष था
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 3:48 PM IST

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. मिस्त्री ने आरोप लगाया है कि उन्हें चेयरमैन रहते हुए काम करने की पूरी आजादी नहीं थी. टाटा संस ने साइरस मिस्त्री के आरोपों को बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है.

मिस्त्री के आरोपों पर कंपनी का जवाब
मिस्त्री के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया है कि वे अब बेवजह की बातें कर रहे हैं उन्हें चेयरमैन के रूप में काम करने की पूरी आजादी थी, और अगर उनके साथ ऐसा कुछ हो रहा था कि तो फिर उन्होंने पद पर रहते हुए इसका जिक्र क्यों नहीं किया. यही आरोपों की सफाई पर टाटा समूह ने कहा कि मिस्त्री तथ्यहीन बातें कर रहे हैं और इस तरह के बेबुनियाद आरोपों के ऊपर सार्वजनिक बहस में उतरना टाटा संस की गरिमा के खिलाफ है.

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मिस्त्री के नीतियों पर उठाए सवाल
टाटा ग्रुप की मानें तो उसके पास काफी रिकार्ड्स हैं जो मिस्त्री के आरोपों को गलत साबित करने काफी है और आवश्यकता पड़ने पर उपयुक्त फोरम में सबूतों को रखा जाएगा. कंपनी का दावा है कि मिस्त्री ने बोर्ड मेंबरों का भरोसा खो दिया था. कंपनी का तर्क है कि मिस्त्री साल 2006 से कंपनी के बोर्ड में थे और 28 दिसम्बर 2012 को उन्हें कंपनी का अध्यक्ष बनाया गया था. इतने लंबे समय तक विभिन्न पदों पर काम करने के बाद उन्हें ग्रुप की परंपरा, प्रचालन, परिचालन की जानकारी होनी चाहिए थी.

बोर्ड में मिस्त्री को लेकर असंतोष का दावा
यही नहीं, टाटा कंपनी ने मिस्त्री के द्वारा बोर्ड को भेजा गया ईमेल लीक होने पर भी ऐतराज जताया है और इसे अशोभनीय करार दिया है. कंपनी का कहना है कि मिस्त्री ने कर्मचारियों की नजरों में ग्रुप की छवि पर कीचड़ उछालने की कोशिश की है, यह अक्षम्य है. टाटा संस ने एक बयान में कहा कि ग्रुप की ताकत महज बोर्डरूम के मूल्यों और सिद्धातों तक सीमित नहीं होकर 6 लाख से अधिक कर्मचारियों तक फैली है. मिस्त्री ने कर्मचारियों की निगाहों में समूह की छवि खराब करने की कोशिश की है. एक कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते समूह को आगे ले जाना उनकी जिम्मेदारी बनती थी. लेकिन उनके कई निर्णयों से बोर्ड में असंतोष था और इसी कारण उन्हें पद से हटाया गया.

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टाटा कंपनी के शेयर में गिरावट
मिस्त्री को हटाए जाने के बाद 3 दिन में टाटा ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 26,000 करोड़ रुपये तक गिर गया है. गुरुवार को टीसीएस को छोड़ ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर भाव नीचे आ गए. टाटा टेलीसर्विसेज में सबसे ज्यादा 9.72 फीसदी की गिरावट रही. टाटा मोटर्स के शेयर भाव 1.44%, टाटा पावर के 1.36% और टाटा स्टील के 0.44% नीचे चले गए.

गौरतलब है कि सोमवार को मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से अचानक हटा दिया गया और उनका स्थान उनके पूर्ववर्ती रतन टाटा ने लिया है. जिसके बाद कंपनी के बोर्ड को भेजे ईमेल में मिस्त्री ने कई गंभीर आरोप लगाए थे. बुधवार को यह ईमेल सार्वजनिक हो गया था.

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