
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गवर्नर उर्जित पटेल ने संसद की पब्लिक अकाउंट कमेटी से कहा है कि वह देश में डिजिटल पेमेंट की लागत को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. नोटबंदी के बाद आम आदमी को कैश की किल्लत से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का विकल्प चुना.
उर्जित पटेल के साथ-साथ रिजर्व बैंक के सभी डिप्टी गवर्नर संसद की पब्लिक अकाउंट समिति से मिले. सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के मुद्दे पर हुई इस मुलाकात में रिजर्व बैंक ने माना है कि इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान उठाना पड़ा है, हालांकि यह नुकसान ज्यादा दिनों तक नहीं होगा. रिजर्व बैंक ने समिति को बताया कि लंबे समय में यह फैसले अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होगा.
मुफ्त नहीं है डिजिटल ट्रांजैक्शन
डिजिटल माध्यमों से ट्रांजैक्शन कैश ट्रांजैक्शन की तरह मुफ्त में नहीं है. डिजिटल ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना पड़ता है. बैंको के जरिए होने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन की कॉस्ट बैंक भरते हैं. वहीं किसी दुकान से खरीदारी के लिए होने वाले डिजिटल ट्रांजैक्शन को दुकानदार की जेब से निकाला जाता है. इसके अलावा किसी डिजिटल ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए कंज्यूमर को भी इंटरनेट बैंकिग, मोबाइल बैंकिग जैसी अन्य सेवाओं को इस्तेमाल करने के लिए एक कॉस्ट अदा करनी पड़ती है.
आरबीआई ने PAC से पूछा ये सवाल
पिछले हफ्ते संसद की पब्लिक अकाउंट समिति ने रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय से पूछा था कि वह नोटबंदी के बाद देश में आम आदमी को हो रही दिक्कतों को कम करने के लिए क्या कदम उठा रही है.
PAC की आपत्ति
नोटबंदी के फैसले पर गंभीर टिप्पणी करते हुए समिति ने कहा था कि जिस देश में कॉल ड्राप एक गंभीर समस्या है वहां सरकार कैसे पूरे देश को कैशलेस व्यवस्था पर ले जा सकती है. पब्लिक अकाउंट समिति देश में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट की समीक्षा करता है और जरूरी मामलों में टिप्पणी कर सकता है.
समिति के मुताबिक प्रधानमंत्री 50 दिन में स्थिति को सामान्य करने के वादे पर खरे नहीं उतरे हैं. लिहाजा, अहम सवाल किया था कि क्या केन्द्र सरकार ने अधूरी तैयारी के साथ नोटबंदी का फैसला लिया था. और अब इसके गंभीर परिणाम अर्थव्यवस्था के सामने हैं.