
तीन साल पहले जो डर बगदादी के आतंकियों की वजह से मोसुल के लोगों में था. खुदा की कुदरत देखिए कि आज उसी मोसुल में इराकी फौजियों की वजह से अब आतंकियों की आंखों में दिख रहा है. शायद ऐसे ही घूमता है वक़्त का पहिया. तभी तो आईएसआईएस के आतंकियों से इराकी फौजी ठीक वैसे ही बदला ले रहे हैं जैसे उन्होंने बेगुनाहों पर ज़ुल्म किए थे. वैसे ही उन्हें घरों से गिरेबां पकड़कर खसीटा जा रहा है. वैसे ही उन्हें ऊंचाई से ढकेला जा रहा है. वैसे ही उन पर बंदूक तानी जा रही है और आगे की कहानी तो आप समझ ही गए होंगे.
ऐसा कैसे सोच लिया था इन हैवानों के किए का हिसाब न होगा. पकड़े जाएंगे तो इनके साथ वो सलूक ना होगा जो इन्होंने बेगुनाहों के साथ किया. ऐसा कैसे सोच लिया था इन आतंकियों ने कि जिस तरह इन्होंने लोगों को पहाड़ियों से फेंका, इन्हें न फेंका जाएगा. जिस तरह इन्होंने बेरहमी से मासूमों को पीटा इन्हें न पीटा जाएगा. कैसे सोच लिया कि इन्हें घरों से बाहर निकाला नहीं जाएगा. इनके ऊपर बंदूकें तानी नहीं जाएगी. इन्हें डराया नहीं जाएगा. इनका खून बहाया नहीं जाएगा. कैसे सोच लिया कि इन्हें लातों से मारा नहीं जाएगा. गिरेबान पकड़कर खसीटा नहीं जाएगा. कैसे सोच लिया कि इन्हें उसी नदी के किनारे लाया नहीं जाएगा जिसमें 3 साल पहले बेकसूरों को गोली मार-मारकर फेंका गया था. और इन्हें उसके किनारे लाकर गोली नहीं मारी जाएगी.
जितनी सजा दी जाए, कम होगी
दुनिया के वजूद में आने के बाद से अब तक शायद ही आतंक का कोई ऐसा कुनबा गुज़रा हो जिसने इंसानियत को इस कदर तार-तार किया. लिहाज़ा सज़ा जितनी भी इन्हें दी जाए, वो कम है. लेकिन फिर भी शायद ये उस दर्द को नहीं समझ सकते जो इन्होंने मासूमों और बेगुनाहों को दिया है. इसलिए जैसे ही ये इराकी फौज के कब्ज़े में आए सैनिकों ने इनसे इराकी लोगों पर किए गए ज़ुल्म का गिन-गिन के बदला लिया. ये उसी बदले का वीडियो है जो सोशल मीडिया के ज़रिए अब दुनिया के सामने आया है. करीब एक मिनट 45 सेकेंड के इस वीडियो की शुरूआत घरों में छुपे आतंकियों को बाहर निकालने के ऑपरेशन से होती है. और एक बार पकड़े जाने के बाद गुस्साए इराकी सैनिक लातों से इनकी खातिर करते हैं.
नरसंहार की गवाह है ये चट्टान
गिरेबान पकड़कर इन्हें इनके ठिकानों से बाहर निकाला जाता है. और फिर इन्हें घसीटकर चट्टान के किनारे तक लाया जाता है. ये वही जगह है जहां तीन साल पहले आईएसआईएस ने सैकड़ों लोगों को एक साथ सिर में गोली मारकर नरसंहार किया था. तस्वीरें बता रही हैं कि इराकी सैनिकों ने आंतकियों को ऊंची और खड़ी चट्टान पर लाने के बाद उन्हें लुढ़का दिया. करीब 30 फीट की ऊंचाई से आतंकियों को नीचे फेंकने के बाद उन्हें गोलियों से भून दिया गया. देखिए जिस पहाड़ी से इस आतंकी को नीचे फेंकने के लिए लाया जा रहा है वहां पहले से ही दूसरे आतंकी की लाश पड़ी है. ये आतंकी भी अपने साथी के ऊपर गिरता है. और फिर इस पर भी ठीक उसी तरह गोलियां बरसाई जाती है जैसी कि इन लोगों ने बेगुनाहों पर बरसाईं थीं.
घरों में छुपे हैं ISIS आतंकी
जिस जगह आतंकियों को उनके किए की सज़ा दी जा रही है, वहां कई आतंकियों को पकड़कर रखा गया है. ये तमाम आतंकी घरों में छुपकर सेना और आम लोगों पर गोलियां बरसा रहे थे. इस क्लिप को मोसुल आई ने अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया है. पहले भी इस ट्विटर अकाउंट से मोसुल में जारी जंग से जुड़ी खबरें और जानकारियां पोस्ट की जाती रही हैं. इराकी फौज के जॉइंट ऑपरेशन कमांड के प्रवक्ता ने बताया कि सेना और सरकार इस वीडियो की जांच कर रही है. हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि ये वीडियो सही है या नहीं. सेना ने साफ किया है कि सैन्य कार्रवाई के दौरान मानवाधिकार का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. पिछले हफ्ते ही इराकी सरकार ने मोसुल में जीत का ऐलान किया था.
आतंकियों की तलाश जारी
हालांकि इराकी प्रधानमंत्री ने ये भी साफ किया था कि मोसुल में अभी भी आईएसआईएस के कुछ आतंकियों ने लोगों के घरों में जबरन पनाह ले रखी है. जिनकी खोज जारी है. ऐसे में सोशल मीडिया पर जारी हुए इस वीडियो को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि सैन्य अधिकारियों का कहना है कि ये वीडियो फर्जी भी हो सकता है क्योंकि कुछ लोग इस जीत की वजह से मिली खुशियों और आत्मविश्वास को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. और शायद ये वीडियो भी ऐसी ही किसी कोशिश का हिस्सा हो. हालांकि ह्यूमन राइट्स वॉच ने सैटेलाइट की मदद से इस वीडियो के लोकेशन की पुष्टि की है. जिसके बाद इराकी फौज पर मानवाधिकार का उल्लंघन कराने का आरोप लगा.
अक्टूबर 2016 में शुरू हुआ था सैन्य अभियान
आपको बता दें कि अक्टूबर 2016 में इराकी सेना ने मोसुल को आतंकियों के कब्ज़े से आज़ाद कराने के लिए सैन्य अभियान शुरू किया था. और 9 महीनों तक चली इस बेहद भीषण लड़ाई में जीत हासिल करने के बाद सैनिकों का मनोबल काफी ऊंचा है. जाहिर है कि वे बहुत खुश हैं और अलग-अलग तरीकों से इस खुशी का जश्न भी मना रहे हैं. मोसुल ने तो आतंक से आज़ादी की आस ही छोड़ दी थी मगर बगदादी पर इराकी सेनाओं के यलगार की वजह से आज उसे अपने ऊपर हुए ज़ुल्मों का हिसाब लेने का मौका मिला है. और यकीन मानिए मोसुल के लोग आतंकियों से जी भर कर उनके जुर्म और अपने दर्द का हिसाब ले रहे हैं. घसीट-घसीटकर आतंकियों को मोसुल के गली-कूंचों में फिराया जा रहा है.
लोग आतंकियों पर निकाल रहे भड़ास
कोई लात से मार रहा है, कोई घूंसे से. और जिसे कुछ नहीं मिल रहा है. वो उनके चेहरे पर थूक कर अपना गुस्सा निकाल रहा है. उसी कुरान और रसूल की हदीस है कि इंसान के कुकर्मों का हिसाब उससे इसी दुनिया में लिया जाता है. जिस कुरान और रसूल का हवाला देकर दुनिया के इस सबसे खूंखार आतंकी अबू बकर अल बगदादी ने खुद को खलीफ़ा घोषित किया. और फिर उसी कुरान और रसूल की हिदायतों को दरकिनार कर इस्लाम के नाम पर हैवानियत फैलाई. अब उस हैवानियत का हिसाब-किताब शुरू हो चुका है. और जिस दर्दनाक मौत की मिसालें दुनिया में दी जाती हैं. उसी अंदाज़ में बगदादी के गुर्गों को मौत दी जा रही है. मगर इन दरिंदों को जितनी भी भयानक मौत दी जाए उतनी कम है.
बगदादी को खलीफा मानने से किया था इनकार
बेशक़ ये मौत दर्दनाक है, मगर ये मौत आपको बहुत आसान लगेगी तब जब आप वो मौतें देखेंगे जो बगदादी के आतंकियों ने बेगुनाहों और मासूमों में बिना रहम के बांटीं हैं. इनमें कोई यज़ीदी था. कोई ईसाई था. कोई शिया तो कोई सुन्नी था. तो कई ऐसे थे जो बगदादी को खलीफा मानने से इनकार कर रहे थे. बगदादी ने इन लोगों को ऐसी मौत दी जिसका तारीख में भी कोई ज़िक्र नहीं मिलता. मगर हर जुर्म का हिसाब वही ऊपरवाला गुनाहगारों से लेता है. जिसका नाम लेकर ये अधर्मी मज़हब के नाम पर बेगुनाहों को मारते हैं. इराक के मोसुल में आतंक से ये बदला लोग सिर्फ बदले की नीयत से नहीं ले रहे हैं. बल्कि एक एक लात और एक-एक घूंसा ये लोग अपने साथ गुजरी हैवानियत का ज़िक्र करते हुए मार रहे हैं.
हर जख्म का ले रहे हैं हिसाब
कोई कह रहा है कि तुमने मेरे बाप को मारा, कोई कह रहा है तुमने मेरी बहन की अस्मत लूटी. कोई कह रहा है कि तुमने मेरा घर उजाड़ा तो कोई कह रहा है कि तुमने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी. तुमने मेरे अच्छे-भले देश को बारूद से तबाह कर दिया. और बदले का ये मौका इन्हें बड़ी मिन्नतों और इंतज़ार के बाद मिला है. इसलिए ये सभी अपनी हुज्जत तमाम कर लेना चाहते हैं. इन बेबसों और बेसहारा लोगों को ये मौका इराकी सेनाओं ने महज़ 2 साल में दे दिया है. वरना तो इन्होंने आतंक से आज़ादी की आस ही छोड़ दी थी. और अब जब मौका मिला तो मोसुल के इन लोगों ने जी भर के बदला लिया. गाड़ियों से बांध-बांधकर बगदादी के इन वहशी दरिंदों को पूरे शहर में घुमाया गया.
आतंकियों को गली-गली घुमा रही सेना
आतंकियों को बांधकर घसीटने वाली गाड़ियां मोसुल के हर मोहल्ले में जा-जाकर रूक रही है. और लोग इन्हें मारकर अपनी अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. जो बहुत ज्यादा गुस्से में हैं वो आतंकियों को गाड़ी से घसीट ले रहे हैं और मारते हुए गलियों में घुमा रहे हैं. मोसुल के लोगों का ये गुस्सा बता रहा है कि कैसे आतंक के आका बगदादी ने बम और बंदूक दिखाकर इन्हें घुट-घुटकर जीने के लिए मजबूर कर रखा था. जैसे-जैसे इराकी सेनाएं मोसुल के अंदर घुसती जा रही हैं, वैसे-वैसे आतंकियों पर शिकंजा कसता जा रहा है. इराकी सेनाओं की कोशिश है कि इन आतंकियों को पकड़कर उन्हें जेल में डाला जाए, मगर लोगों में इराकी सेनाओं की आमद से अचानक जोश बढ़ गया है और वो खुद आतंकियों को पकड़-पकड़कर उनसे बदला ले रहे हैं. इराकी सेनाओं के कब्ज़े में आने के बाद इन आतंकियों की हालत देखने लायक है. डरे-सहमे ये आतंकी अपनी बेरहमियों को भूलकर उनसे रहम की गुहार लगा रहे हैं.