
दिसंबर, 2012 में दिल्ली की सड़क पर निर्भया का गैंगरेप किया गया और फिर हत्या कर दी गई. इस मामले में चार दोषियों को फांसी की सजा का ऐलान किया गया.
लेकिन चारों दोषियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश की ओर से बार-बार कानून का रास्ता लिया जा रहा है कभी राष्ट्रपति के पास अलग-अलग दया याचिका हो या फिर अदालत में अलग-अलग पुनर्विचार याचिका दायर करना हो. दोषियों की कानूनी पैंतरे उन्हें बार-बार फांसी के फंदे से बचा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में भी बाकी है सुनवाई
जब दोषियों की ओर से फांसी से बचने के लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर की जा रही है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई और दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की इजाजत मांगी. अब तीन जजों की बेंच इस मामले में पांच मार्च को सुनवाई करेगी. इस बेंच की अध्यक्षता जस्टिस आर. भानुमति करेंगी. जस्टिस भानुमति के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नवीन सिन्हा इस बेंच के सदस्य हैं.
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सरकार की ओर से पहले दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया गया था, लेकिन अदालत ने इस याचिका को ठुकरा दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने बयान में साफ कहा था कि चारों को एक साथ ही सजा दी जा सकती है.
ऐसे में अब सवाल खड़ा होता है कि अगर फांसी की तारीख 3 मार्च है और सुप्रीम कोर्ट में 5 मार्च को सुनवाई होनी है तो दोषियों को सजा कैसे होगी. क्या सरकार की ओर से जल्द सुनवाई की अपील की जाएगी, क्योंकि शुक्रवार के बाद शनिवार-रविवार को अदालत की छुट्टी रहेगी. और 3 मार्च को मंगलवार है.