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स्कूल में जबरन उतरवाए छात्राओं के कपड़े, पूरा स्टाफ बर्खास्त

मुजफ्फरनगर जिले की खतौली तहसील में स्थित एक आवासीय स्कूल के 9 कर्मचारियों के पूरे स्टाफ को बर्खास्त कर दिया गया है. इस स्कूल में प्रधानाध्यापक ने 70 लड़कियों को मासिक धर्म की जांच के लिए कपड़े उतारने को मजबूर किया था. 25 मार्च को घटना की जानकारी सामने आते ही इस आवासीय विद्यालय की प्रधानाध्यापक को बर्खास्त कर दिया गया था.

छात्राओं की शिकायत के बाद स्कूल के पूरे स्टॉफ को बर्खास्त कर दिया गया है छात्राओं की शिकायत के बाद स्कूल के पूरे स्टॉफ को बर्खास्त कर दिया गया है
परवेज़ सागर/खुशदीप सहगल
  • मुज़फ्फरनगर,
  • 21 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

मुजफ्फरनगर जिले की खतौली तहसील में स्थित एक आवासीय स्कूल के 9 कर्मचारियों के पूरे स्टाफ को बर्खास्त कर दिया गया है. इस स्कूल में प्रधानाध्यापक ने 70 लड़कियों को मासिक धर्म की जांच के लिए कपड़े उतारने को मजबूर किया था. 25 मार्च को घटना की जानकारी सामने आते ही इस आवासीय विद्यालय की प्रधानाध्यापक को बर्खास्त कर दिया गया था.

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जिला प्रशासन की ओर से कराई गई जांच में स्कूल के पूरे स्टाफ को ही दोषी पाया गया. इसके बाद स्कूल के 9 लोगों के स्टाफ की सेवा समाप्त कर दी गई. इसमें शिक्षक, अकाउंटेंट, रसोईया, चौकीदार शामिल हैं. इसमें स्थायी और अंशकालिक दोनों तरह के कर्मचारी हैं.

बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रकेश यादव की ओर से स्थायी कर्मचारियों को चिट्ठी भेजकर सेवाएं समाप्त किए जाने की सूचना दी है. वहीं अंशकालिक कर्मचारियों को फोन पर सेवाएं समाप्त किए जाने की बात कही गई है. इनकी चिट्ठी कावंड़ियों की वजह से छुट्टी के चलते अभी नहीं भेजी गई है.

बता दें कि लड़कियों के परिजनों ने एक शिकायत में आरोप लगाया था कि स्कूल की प्रधानाध्यापक ने लड़कियों को कपड़े उतारने पर मजबूर किया था और आदेश ना मानने पर नतीजे भुगतने की धमकी दी थी. बताया जा रहा है कि स्कूल के टॉयलेट में खून के धब्बे मिले थे.

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ये देख कर प्रधानाध्यापक का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था. किस लड़की के पीरियड्स चल रहे हैं, ये चेक करने के लिए उनके कपड़े उतरवा दिए गए. इस घटना के बाद लड़कियों ने विरोध जताते हुए स्कूल में नारेबाजी की थी.

कुछ लड़कियों के परिजन स्कूल छुड़वा कर अपने साथ घर ले गए थे. जिला प्रशासन ने स्कूल की प्रधानाध्यापक-वार्डन की सर्विस तत्काल कार्रवाई करते हुए खत्म कर दी थीं. साथ ही संबंधित थाने में मुकदमा भी कायम कराया गया.

घटना के लगभग तीन महीने बाद मजिस्ट्रेटी जांच में स्कूल के पूरे स्टाफ को दोषी मानते हुए सभी की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. हालांकि स्कूल की दो टीचर ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जांच के दौरान एक बार भी उनके बयान नहीं लिए गए. इनका ये भी कहना है कि कार्रवाई करनी थी तो घटना के तत्काल बाद क्यों नहीं की गई. इन्होंने खुद को निर्दोष बताया. इनका कहना है कि तीन महीने बाद अचानक सेवाएं समाप्त कर उन्हें दोषी की तरह दिखाया जा रहा है.

इन टीचर का ये भी कहना है कि घटना के बाद स्कूल में अधिकतर बच्चे स्कूल छोड़कर चले गए थे जिनकी बीते तीन महीने में उन्होंने बड़ी मेहनत कर वापसी कराई थी. बेसिक शिक्षा अधिकारी चन्द्रकेश यादव के मुताबिक मजिस्ट्रेटी जाँच में स्टाफ का आपसी तालमेल सही नहीं पाया गया जिसकी वजह से ये कार्रवाई की गई.

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