
वीरेंद्र सहवाग को कोई दिल्ली का छोरा कहता है तो कोई नजफगढ़ का नवाब. वे किसी के लिए मुल्तान के सुल्तान हैं तो विपक्षी टीम के गेंदबाजों के लिए डरावना सपना. कभी भारतीय क्रिकेट टीम का सलामी बल्लेबाज रहने वाले सहवाग आज 38 वर्ष के हो चुके हैं. उन्हें सन्यास लिए हुए एक साल बीत चुका है. ऐसे में जानें कि आखिर वह कौन सी चीजें हैं जो उन्हें पूरी दुनिया का चहेता बनाती हैं और हम-आप उनसे क्या सीख सकते हैं.
हर हाल में समभाव बने रहना...
सहवाग चाहे पहली गेंद का सामना कर रहे हों या फिर किसी विकट परिस्थिति में हों. चाहे पहला छक्का जड़ा हो या फिर छक्के से तिहरा शतक पूरा कर रहे हों. वे हमेशा समभाव ही दिखते हैं. किसी तमगे को हासिल करने पर न बहुत ज्यादा खुश और उसे हासिल न कर पाने की स्थिति में न ही उदास. आखिर यही बात तो उन्हें चैंपियन बनाती हैं.
अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले...
सहवाग ने भले ही दुनिया भर की ऊंचाईयां हासिल कर ली हों मगर वे आज भी नजफगढ़ की शान के तौर पर ही जाने-पहचाने जाते हैं. हर जगह से वे वापस लौटकर अपने घर ही आते हैं. वे अब भी अपने आस-पड़ोस वालों के लिए वीरू ही हैं.
न दुख में हताश और न खुशी में अतिउत्साह...
जो लंबी दूरी के घोड़े होते हैं वे अपनी एनर्जी को संचित रखते हैं. हार की स्थिति में शायद ही कोई ऐसा हो जो हताश न होता हो लेकिन वे उसे जाहिर नहीं होने देते. आगे की तैयारियों में लग जाते हैं. क्रिकेट जैसा खेल किसी खिलाड़ी से हर गेंद पर सचेत रखने की अपेक्षा रखता है. एक गेंद को हल्का समझने मात्र से पूरी कहानी बदल सकती है.
आप भी सीखें रावण से सबक, जो लक्ष्मण ने सीखे...
फैमिली को पूरा समय देना...
वीरेंद्र को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि वे ज्यादा लंदफंद में नहीं पड़ते. ग्लैमर वर्ल्ड में लगातार रहने के बावजूद वे आज भी फैमिली मैन हैं. अपने दोस्तों के बीच वे हमेशा ही एक सामान्य इंसान की तरह ही रखते हैं.
गजब के हाजिरजवाब और हंसोड़ हैं...
ऐसा नहीं है कि वीरू मैदान से हटकर खबरों से बाहर हैं. अब आप उनका ट्विटर अकाउंट ही देख लें. वे हर समसामयिक मुद्दों पर खुलकर अपना पक्ष रखते हैं. उनकी हाजिरजवाबी और स्टेटमेंट को लेकर न जाने कितने ही आर्टिकल्स लिखे जा रहे हैं.
आप भी नजफगढ़ के नवाब से उनकी जबर्दस्त चीजें सीखें और धीरे-धीरे उन चीजों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं. धीरे-धीरे आप खुद को भी मुल्तान का सुल्तान महसूस करने लगेंगे.