आज जब हर तरफ सब बंद है. स्कूल पार्क से लेकर मॉल और दुकानों तक हर तरफ सन्नाटा पसरा है. कोरोना को लेकर आम जनता जंग लड़ने को तैयार दिख रही है. ऐसे हालात में घर पर रह रहे वर्किंग पैरेंट्स से लेकर सामान्य अभिभावकों के पास सबसे बड़ी चुनौती पांच से दस साल तक के बच्चों को इंगेज यानी व्यस्त रखने की है. आइए, सर गंगाराम अस्पताल के बाल मनोचिकित्सक डॉ राजीव मेहता से जानते हैं कि बच्चों को ऐसे हालात में कैसे खुश और व्यस्त रखना है.
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डॉ राजीव मेहता ने aajtak.in से बातचीत में बताया कि उनके पास ऐसे कई फोन आ रहे हैं जिनमें अभिभावक कह रहे हैं कि उनके पास काम का बोझ बढ़ गया है और बच्चे उन पर अलग दबाव बना रहे हैं. ऐसे में जानिए क्या हो सकते हैं रास्ते.
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बाल मनोचिकित्सक कहते हैं कि बच्चों के भीतर चाइल्ड लाइक एनर्जी होती है. यानी बच्चों में अपने भीतर अथाह ऊर्जा होती है. इस ऊर्जा का अगर सही इस्तेमाल किया जाए तो बच्चे पढ़ाई से ज्यादा एक्टिविटी के जरिये सीखते हैं.
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ये सलाह अपनाने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि आपके बच्चे किस उम्र के हैं. आपका बच्चा अकेला है या उसका सिबलिंग भी है. फिर मां-बाप का नेचर कैसा है. उसी आधार पर बच्चों के लिए टाइम टेबल और एक्टिविटी तैयार हो सकती है.
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हम यहां आपको पांच से 12 साल तक के बच्चों को इस माहौल में सकारात्मक रखने के कुछ टिप्स दे रहे हैं. डॉ मेहता कहते हैं कि अगर मां हाउसवाइफ है और पिता वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो ऐसे में बच्चे को मां अपने साथ तमाम एक्टिविटी जैसे कि कैरम बोर्ड, लूडो और कहानियां आदि सुनाकर इंगेज रख सकती है.
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लेकिन अगर दोनों ही (माता-पिता) वर्किंग रहे हैं और अब वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तो उन्हें अकेले बच्चे को संभालने में दिक्कत आएगी. इसके लिए आपको बच्चों को वर्किंग ऑवर के दौरान एक्टिविटी के साथ मोबाइल या टीवी के लिए भी टाइमटेबल बनानी होगी.
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अगर वर्किंग पेरेंट्स के दो बच्चे हैं और दोनों पांच से दस साल के हैं तो उनमें एनर्जी बहुत होती है. उनके लिए आपको ऐसी एक्टिविटी तैयार करनी होगी जो उन्हें आम दिनों से एकदम अलग लगे.
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उदाहरण के लिए आप हाउस सर्विस देने वालों की गैरमौजूदगी के कारण बच्चों को घर के छोटे-मोटे काम में लगा सकते हैं. जैसे सामान को व्यवस्थित करना. कपड़ों की अल्मारी में कपड़ों को अलग-अलग करके रखना, इसके अलावा पौधों में पानी देने जैसे काम भी दे सकते हैं.
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टाइम टेबल जरूरी
अकेले रहने के दौरान बच्चों के दिमाग पर असर पड़ने से वो चिड़चिड़े भी हो सकते हैं. डॉ मेहता कहते हैं कि इसलिए बच्चों को एकदम खुला मत छोड़िए वरना वो बहुत जल्दी बोर हो जाएंगे. उनका हर चीज का टाइम टेबल सेट कीजिए.
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जैसे कि उनका फोन देखने का टाइम कम से कम होना चाहिए. इसके बाद कुछ घंटे टीवी देखना. नहाना और फिर अपने कपड़े धोना, खाना और खाने के बाद अपने बर्तन खुद साफ करना. इसके बाद पढ़ाई के लिए थोड़ा सा समय दें.
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ये भी कर सकते हैं
आप बच्चों के लिए ऑनलाइन डांस क्लासेज या दूसरी लर्निंग ऐप भी तलाश कर सकते हैं जो कि मोबाइल यूज के दौरान वो एक्टिविटी के तौर पर कर सकते हैं.
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एक्सरसाइज बहुत जरूरी
अब जब आप और आपका पूरा परिवार एक दूसरे को समय दे पा रहा है तो इसे बहुत सकारात्मक रुप से लेते हुए भी आप बच्चे के साथ टाइम एंज्वाय कर सकते हैं. ऐसे में आप लोग अपनी दिनचर्या बिल्कुल न बिगड़ने दें. सुबह उठकर आपको बच्चों के साथ एक्ससाइज, योगा या डांस के लिए कम से कम 45 मिनट देने चाहिए.
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इस तरह की एक्टिविटी से बच्चों की ऊर्जा इसमें खप जाती है, जिससे वो अपना समय खुश होकर बिताते हैं. बच्चों को आप लूडो, सांप-सीढ़ी, चेस, कैरम आदि खेलने के लिए प्रेरित करें. अगर घर में ये खेल नहीं है तो इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड भी करके उन्हें खिला सकते हैं.
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बच्चों को बनाएं जिम्मेदार
आपको ये भी ध्यान में रखना है कि आपको यह एक ऐसा अवसर मिला है जब आप अपने बच्चों को समझदार और जिम्मेदार बना सकते हैं. उन्हें घरेलू टास्क में उलझाकर उन्हें न सिर्फ सिखा सकते हैं, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए जिम्मेदार भी बना सकते हैं.