कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी. घरों में लॉकडाउन के दौरान कई लोग कहते हैं कि वो आइसोलेशन में हैं, या कुछ लोग ये भी कहते हैं कि वो क्वारनटीन हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अगर आप स्वस्थ हैं और घरों में आराम से रह रहे हैं तो आप आइसोलेशन या क्वारनटीन में नहीं हैं. बल्कि आप लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो कर रहे हैं. आइए जानें- क्या है क्वारनटीन, लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन में क्या अंतर होता है.
अब जब कोरोना महमारी के मरीजों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है, ऐसे में संक्रमण से सबको बचाने के लिए ये सबसे मुफीद तरीका माना जाता है. कोरोना वायरस का संक्रमण छींकने या खांसने के दौरान स्वस्थ व्यक्ति के सलाइवा में किसी भी प्रकार संपर्क में आकर उसे बीमार कर सकता है. ऐसे में लॉकडाउन व्यवस्था के दौरान आप सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करके इससे बच सकते हैं.
अगर किसी व्यक्ति के परिवार या सोसायटी या बिल्डिंग में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है ताे वहां रह रहे लोगों को क्वारनटीन किया जाता है. जिन लोगों को क्वारनटीन में रखा जाता है, उन्हें घर से बाहर निकलने की बिल्कुल इजाजत नहीं होती. वो 14 दिन किसी से छह फिट की दूरी से बात करेंगे, साथ ही मास्क का इस्तेमाल भी करेंगे. क्वारनटीन के दौरान सभी का ब्लड टेस्ट भी किया जाता है.
संक्रमण का शक होने पर आइसोलेशन के दौरान हवादार कमरे में रहें. घर के लोगों से दूरी बनाकर रखें. अपना अलग बाथरूम इस्तेमाल करें. जांच कराने के लिए तत्काल फोन से सूचना दें, जिससे स्वास्थ्य विभाग की टीम सुरक्षित तरीके से सैंपल ले सके. जांच के लिए लार देते समय सावधानी बरतें. अगर सांस लेने में परेशानी हो तो तत्काल डॉक्टर से बात करें. इस दौरान न अपने आप दवा लें, न ही सार्वजनिक यातायात, कैब, टैक्सी आदि का इस्तेमाल करें.