कॉर्पोरेट कंसल्टेंट एडवोकेट रोहित श्रीवास्तव ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि औद्योगिक विभाग अधिनियम के सेक्शन 25(N) में छंटनी से संबंधित प्रावधान दिया गया है. इसके अनुसार किसी आपदा के आने पर या अन्य कारणों से कंपनी अपने कर्मचारी की छंटनी करती है तो उसे पहले नोटिस देकर बताना होगा कि उसे क्यों हटा रहे हैं.
एडवोकेट रोहित कहते हैं कि लेकिन ऐसा सिर्फ उन कर्मचारियों पर लागू होता है जो कंपनी पर रोल पर काम कर रहे हैं. इस सेक्शन में अस्थायी कर्मचारियों के लिए नियम परिभाषित नहीं किए गए हैं. अक्सर इन्हीं कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आता है.
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए केंद्रीय श्रम विभाग ने सभी विभागों और नियोक्ताओं को एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि नियोक्ता लॉकडाउन के कारण किसी कर्मचारी को नौकरी से न निकाले.
लेकिन जिस तरह की स्थितियां बन रही हैं. उसे देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा लॉकडाउन के दौरान कुछ महीनों तक व्यावसायिक गतिविधियां पहले की तरह चालू नहीं हो पाएंगी और कुछ कंपनियां व प्रतिष्ठान अपना काम चालू नहीं कर पाएंगे. इससे नौकरियों का संकट भी आना तय माना जा रहा है.
आईएलओ के महानिदेशक गाई राइडर ने कहा है कि ये आंकड़े भयवाह स्थिति को बयां कर रहे हैं. दुनिया भर के कामगार मौजूदा कोरोना वायरस संकट से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. पूर्ण या आंशिक रूप से लॉकडाउन के कारण करीब 2.7 अरब कामगार प्रभावित हुए हैं. यह वैश्विक कार्यबल का करीब 81 फीसदी है.