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पढ़ाई में हिट हैं दिल्ली के सरकारी स्कूल, ऐसे पढ़ते हैं बच्चे

मोहित पारीक
  • 03 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:51 PM IST
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दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली में शिक्षा को लेकर काफी काम हुआ है. दिल्ली की सरकारी स्कूलों में भी निजी स्कूलों की तरह पढ़ाई हो रही है. दिल्ली के एक हजार से अधिक सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों को अब तक प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर और फिनलैंड भेजा जा चुका है.

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दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों की दीवारों का रंग-रोगन हो चुका है और इनकी बुनियादी संरचना किसी निजी स्कूल से कम नहीं है. साथ ही इनके पाठ्यक्रम में भी बदलाव हुआ है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 40 अध्यापकों और शिक्षाविदों की एक टीम ने करीब छह महीने में 'हैप्पीनेस करिकुलम' बनाया है.

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इस पाठ्यक्रम के अलावा, नर्सरी से लेकर कक्षा सात तक छात्रों के लिए 45 मिनट का 'हैप्पीनेस पीरियड' होगा, जिसमें योग, कथावाचन, प्रश्नोत्तरी सत्र, मूल्य शिक्षा और मानसिक कसरत शामिल हैं.

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सरकारी स्कूल अब तक खराब और पुरानी शिक्षण पद्धति के लिए बदनाम रहे हैं. मगर, इस प्रशिक्षण से शिक्षकों के शिक्षण कौशल में विकास हुआ है और वे ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन अनुसंधान से रूबरू हुए हैं.

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वहीं एक रिक्शाचालक का कहना है, 'वह खुद को खुशकिस्मत समझते हैं कि सरकारी स्कूल में बेटे का दाखिला करवाना उनका अच्छा फैसला था. राकेश अब छठी कक्षा में है और वह अपनी पढ़ाई में बेहतर कर रहा है. यहां तक कि रोशन को भी बेटे से कुछ खीखने को मिल जाता है. रोशन को इस बात का गर्व है कि उनके बेटे के शिक्षक (अध्यापक/अध्यापिका) विदेशों से प्रशिक्षण लेकर आए हैं.

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रोशन ने आईएएनएस को कहा कि मुझे अपने बेटे से मालूम हुआ कि उसके शिक्षक प्रशिक्षण के लिए विदेश जा रहे हैं. मैं खुश हूं कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा. दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया हमेशा शिक्षा-प्रणाली में सुधार की आवश्यताओं की बात करते रहे हैं.

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उन्होंने अपने पहले बजट भाषण में दिल्ली सरकार का शिक्षा बजट दोगुना करते हुए कहा, 'शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जाने वाला धन खर्च नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए किया जाने वाला निवेश है.'

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मनु गुलाटी पिछले साल अगस्त में प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर गई थीं और वह अब एक मेंटॉर टीचर हैं. उन्होंने बताया कि वह अब बेहतर प्रदर्शन कर उत्साहित महसूस कर रही हैं. गुलाटी ने कहा कि आमतौर पर यह महसूस किया जाने लगा है कि प्रशिक्षण पर निवेश कर सरकार ने शिक्षकों पर भरोसा जताया है.

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