राम नाथ कोविंद का जन्म 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की तहसील डेरापुर के एक छोटे गांव परौंख में हुआ था. कोविंद का संबंध कोली जाति से है, जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है.
रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत से करियर की शुरुआत की. वर्ष 1977 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद वह प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने. इसके बाद भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए.
कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय से हुई. कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
वकालत की उपाधि लेने के पश्चात दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की. वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे. 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति हुई.
डीएवी लॉ कालेज से वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की. मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर रामनाथ कोविंद ने नौकरी ठुकरा दी.
जून 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर कोविंद वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे थे. जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर भी उन्होंने कार्य किया.
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कोविंद उत्तर प्रदेश से राज्यपाल बनने वाले तीसरे व्यक्ति थे. 2002 में सयुंक्त राष्ट्र की महासभा में भारत का नेतृत्व कर चुके हैं.
बिहार के मौजूदा राज्यपाल रामनाथ कोविंद अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं. परौख गांव में कोविंद अपना पैतृक मकान बारातघर के रूप में दान कर चुके हैं.
कोविंद पढ़े-लिखे हैं. भाषाओं का ज्ञान है. दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता के तौर पर उनका अच्छा खासा अनुभव है. सरकारी वकील भी रहे हैं. राष्ट्रपति पद के लिए जिस तरह की मूलभूत आवश्यकताएं समझी जाती हैं, वो उनमें हैं और मृदुभाषी हैं. कम बोलना और शांति के साथ काम करना कोविंद की शैली है.