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ये है Super-30 का सक्सेस Formula, जानें कैसे मिलेगी एंट्री

aajtak.in
  • 13 जून 2017,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST
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ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) एडवांस में इस साल भी आनंद कुमार के सुपर-30 के सभी 30 बच्चें सफल हुए हैं. सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार के लिए यह खुशी के बात है कि हर साल उनके यहां पढ़ने वाले बच्चे जेईई) एडवांस जैसे कठिन परीक्षा को पास कर अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहा हैं.

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साल 2016 में सुपर 30 से जेईई एडवांस एग्जाम में 28 बच्चे सफल हुए थे. यह लगातार चौथी बार है जब सुपर 30 के सभी बच्चों ने JEE एडवांस एग्जाम में सफलता हासिल की है. इससे पहले वर्ष 2008, 2009, 2010 में सभी 30 बच्चे सफल हुए थे. IIT में प्रवेश पाना कितना कठिन है ये हम सब जानते हैं बावजूद इसके हर साल लगभग 100% रिजल्ट देना सचमुच किसी चमत्कार से कम नहीं है और अब तो पूरी दुनिया भी इस चमत्कार को acknowledge करती है.

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ऐसे में आनंद कुमार के 'सुपर 30' पटना की सफलता के पीछे की कहानी को जानना दिलचस्प होगा. किस तरह यहां बच्चों का एडमिशन होता है और किस आधार पर सुपर-30 में सेलेक्शन होता है, यह पूरी प्रक्रिया हैरतअंगेज है. रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स इंस्टीट्यूट के संस्थापक आनंद कुमार एक मैथेमेटिशियन हैं और जेईई एंटेरेंस एग्जाम के लिए स्टूडेंट्स को वो खुद तैयार करते हैं.

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आनंद कुमार अपने इंस्टिट्यूट 'रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स' में उन बच्चों का एडमिशन लेते हैं, जो मेधावी हैं, पर आर्थि‍क परेशानियों के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. अपने इंस्टीट्यूट से वो हर साल 30 स्टूडेंट को सेलेक्ट करते हैं और ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) एडवांस जैसी परीक्षा के लिए तैयारी करवाते हैं. लेकिन इन सुपर 30 छात्रों को सेलेक्ट करने से पहले परीक्षा ली जाती है, जिसमें पास होने के बाद ही उन्हें सुपर-30 में जगह दी जाती है. बच्चों का चयन करने के बाद आनंद उन्हें अपने साथ रखते हैं और उनकी पढाई-लिखाई से लेकर खाना-पीना रहना आदि हर एक चीज का खर्च खुद उठाते हैं.

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देश के सबसे प्रतिष्ठ‍ित संस्थान आईआईटी में एडमिशन के लिए तैयार करने वाले आनंद कुमार ने खुद हिंदी मीडियम के गवर्नमेंट स्कूल से अपनी पढ़ाई की हैं. ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने नंबर थ्योरी में पेपर सब्मिट किए, जो मैथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मैथेमेटिकल गैजेट में पब्लिश हुए. इसके बाद आनंद कुमार को मशहूर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से एडमिशन के लिए बुलाया गया, लेकिन पिता की मृत्यु और तंग आर्थिक हालत के चलते उनका सपना साकार नहीं हो सका. 44 साल के इस टीचर का एक ही लक्ष्य है, अपने हर स्टूडेंट को सुपर 30 से अच्छे नंबरों से पास कराना.

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आनंद कुमार ने 1992 में रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स की शुरुआत की. तीन साल के स्कूल में पढ़ने वालों की संख्या 2 से 500 तक बढ़ी गई.

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आनंद कुमार के इंस्टिट्यूट 'रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स' में ज्यादातर स्टूडेंट्स ऐसे परिवार से आते हैं जिनके पास इंजीनियिरिंग की पढ़ाई के लिए उतने पैसे नहीं है. उसके बाद उन्हें सुपर 30 का आइडिया आया.

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हर साल, उनकी संस्था, रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स आर्थिक रूप से कमजोर 30 छात्रों का चयन करने के लिए एक परीक्षा आयोजित करता है. साथ ही ट्यूटर्स और एक वर्ष के लिए सभी 30 छात्रों को रहने की भी सहायता करता है.

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2009 में, डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर एक प्रोग्राम दिखाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी आनंद कुमार और उनके सुपर 30 के के बारे में भी लिख चुका है.

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आनंद कुमार का पूरा परिवार सुपर 30 में शामिल है. उनकी मां सुपर 30 में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए खाने की देखरेख करती है और उनके भाई प्रणव सुपर 30 के मैनेजमेंट को संभालते है.

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