Advertisement

एजुकेशन

Google के बनने की कहानी, PhD कर रहे दो दोस्तों ने रखी थी नींव

मानसी मिश्रा
  • 04 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST
  • 1/9

कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे दो स्टूडेंट्स सर्जि ब्रिन और लैरी पेज ने एक कार गैराज से गूगल की शुरुआत की थी, जिसमें आज पूरी दुनिया समाई है. गूगल आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है और इसके सीईओ भारतीय मूल के सुंदर पिचाई दुनिया के टॉप CEO में शुमार हैं. एक इंटरनेट सर्च मशीन के तौर पर गूगल शुरू किया गया था. इसके बाद ई-मेल, फोटो, वीडियो और गूगल मैप की शुरुआत हुई. आज गूगल ऐसी ऑलराउंडर कंपनी है, जो आम जिंदगी की जरूरत बन गई है. जानिए- गूगल के बनने की पूरी कहानी.

फोटो: सर्गेई बिन, लैरी पेज और सुंदर पिचाई
Image: Reuters

  • 2/9

ऐसी थी दोस्ती की दास्तां

सर्जि ब्रिन और लैरी पेज क्रमश: 22 और 23 साल के थे, जब 1995 में उनकी पहली मुलाकात हुई. उस समय दोनों के बीच हमेशा बहस होती थी. किसी मामले में दोनों की एक राय नहीं थी, लेकिन फिर दोस्ती हुई तो जमाना उनकी मिसाल देने लगा. ये दोस्ती एक जैसी समस्या के कारण हुई. वो समस्या थी इंटरनेट इन्फॉर्मेशन वर्ल्ड में रिसर्च के दौरान किसी विशेष चीज को कैसे तलाशें. बस फिर क्या था दोनों एक साथ मिल गए.

फोटो: सर्गेई बिन
Image: Reuters

  • 3/9

गूगल यानी फ्री सेवा

आज हम मन में कोई सवाल उठते ही सबसे पहले गूगल गुरु से जवाब मांगने पहुंच जाते हैं. एक आंकड़े के अनुसार गूगल 10 अरब से ज्यादा खोजें अपने में समाहित किए है. गूगल 10 लाख से ज्यादा सर्वर से सीधा जुड़ा है.

फोटो: लैरी पेज 
Image: Reuters

Advertisement
  • 4/9

यहां से होती है कमाई

गूगल पूरी तरह विज्ञापन से कमाई करता है. कंपनियां यूजर्स के बारे में जानकारियां गूगल से खरीदती हैं या उसे अपने विज्ञापनों के लिए पैसा देती हैं. विज्ञापन पर हर क्लिक के लिए गूगल कुछ सेंट से लेकर सैकड़ों डॉलर लेता है.
फोटो: सुंदर पिचाई
Image: Reuters

  • 5/9

9 साल के बच्चे ने रखा था नाम

कहा जाता है कि गूगल का नाम एक नौ साल के बच्चे ने रखा था. उसने इसे गोगोल कहा था, जिसे बाद में गूगल कहा जाने लगा. ये एक मान्यता पर आधारित था, जिसके आधार पर अगर एक के पीछे 100 जीरो रखे जाएं तो अनूठी संख्या गोगोल बनती है. यही गोगोल असल में गूगल बन गया.

फोटो: सर्गेई बिन
Image: Reuters

  • 6/9

कार गैराज से हुई थी शुरुआत

फिर दोनों दोस्तों ने सितंबर 1998 में गूगल इनकॉपरेरेटेड के नाम से मेनलो पार्क कैलिफोर्निया के एक कार गैराज से कंपनी की शुरुआत की. सिर्फ दो वर्षों में ही गूगल का नाम सबकी जुबान पर था. ये शुरुआत ही पेरेंट कंपनी अल्फाबेट तक पहुंची थी.
फोटो: सर्गेई बिन
Image: Reuters

Advertisement
  • 7/9

वहीं अब Google के दोनों फाउंडर्स Sergey Brin और Larry Page अल्फाबेट कंपनी से अपना पद छोड़ रहे हैं. हालांकि ये दोनों को-फाउंडर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के तौर पर कंपनी के साथ बने रहेंगे.

फोटो: सुंदर पिचाई

Image: Reuters

  • 8/9

यहां महत्वपूर्ण ये है कि अब सुंदर पिचाई के पास कई नई जिम्मेदारी होगी. Larry Page ने Alphabet के सीईओ के पद से रिजाइन कर दिया, जबकि Sergey Brin ने Alphabet के प्रेसिडेंट का पद छोड़ दिया है.

Image: Reuters

  • 9/9

सुंदर पिचाई  ने Google के लगभग हर बड़े प्रोडक्ट्स के लिए काम किया है और  उनके रहते उन सभी प्रोडक्ट्स ने काफी तरक्की की है. जीमेल, गूगल क्रोम, गूगल ड्राइव और क्रोम व ओएस तक में उन्होंने काम किया है. 

Advertisement
Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement