ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्याेतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने के चलते कल से सुर्खियों में हैं. ज्योतिरादित्य की गिनती एक कद्दावर नेता के साथ-साथ राजघराने की इस पीढ़ी के वारिस के तौर पर भी होती है. क्या आपको पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस महल में रहते हैं, वो 12 लाख वर्गफीट से भी ज्यादा बड़ा है. वो इस महल के इकलौते मालिक हैं. आइए जानें- क्या है उस महल की खासियत जहां रहता है ज्योतिरादित्य का परिवार.
इस महल को महाराजाधिराज जयजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर ने 1874 में बनाया था. तब इसकी लागत 1 करोड़ रुपये थी. आज इस सुंदर शाही महल की कीमत बढ़कर 4000 करोड़ पहुंच चुकी है.
महल को आर्किटेक्ट सर माइकल फिलोस द्वारा डिजाइन किया गया था जिन्होंने वास्तुकला के इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली से प्रेरणा लेकर इसे बनाया था. जयविलास महल, ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल ही नहीं एक भव्य संग्रहालय भी है.
महल में 400 से अधिक कमरे हैं, जिसका एक हिस्सा इतिहास को संजोने के लिए एक संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाता है. कुल 1,240,771 वर्ग फीट में फैले इस महल के एक प्रमुख हिस्से को वैसे ही संरक्षित किया गया है जिस तरह से इसे बनाया गया था.
इस राजसी महल का निर्माण वेल्स के राजकुमार, किंग एडवर्ड VI के भव्य स्वागत के लिए किया गया था, जो सिंधिया राजवंश का निवास भी था और फिर साल 1964 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया था.
(महल में स्थित कांच की मूर्ति)
भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इस भव्य महल के कानूनी मालिक हैं. इस महल की कीमत की बात करें तो ये 2 बिलियन अमरीकी डाॅलर के करीब बताई जाती है. महल की भव्यता को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.
(आंगन के बीचों-बीच स्थित फ़व्वारा)
ये सिंधिया परिवार का ड्राइंग रूम फ़र्नीचर है, जिसे अब एंटीक में माना जाता है. महल के करीब 35 कमरों को संग्रहालय के तौर पर तैयार किया गया है जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
महल के 400 कमरों में से ये खास कमरा ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया का कक्ष है. आज भी ये कक्ष उनके नाम से संरक्षित किया गया है. इस कमरे में माधवराव ने अपनी पसंद का आर्किटेक्ट और एंटीक रखा था.
इस संग्रहालय की एक और खास चीज है, वो है चांदी की रेल जिसकी पटरियां
डाइनिंग टेबल पर लगी हैं. अति विशिष्ट दावतों में यह रेल पेय परोसती चलती है. इस हॉल में
इटली, फ्रांस, चीन और अन्य कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां मौजूद
हैं.
(डाइनिंग हाल में चांदी की ट्रेन)
महल का प्रसिद्ध दरबार हॉल
इस महल के भव्य अतीत का गवाह है. यहां लगा हुए दो फानूसों का भार दो-दो टन
का है, कहते हैं इन्हें तब टांगा गया जब दस हाथियों को छत पर चढ़ाकर छत की
मजबूती परखी गई.
(12.5 मीटर ऊंचाई पर स्थित, 3.5 टन के झूमर)