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पहले JEE फिर UPSC में टॉप, इस IAS की तैयारी का अनोखा अंदाज

aajtak.in
  • 03 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST
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ये कहानी है साल 2018 में यूपीएससी टॉप करने वाले कनिष्क कटारिया की. वो IIT बॉम्बे में पढ़ाई करके विदेश में नौकरी करना चाहते थे. वहीं उनके पिता चाहते थे कि बेटा IAS बने. लेकिन कनिष्क ने किसी की एक ना सुनी और विदेश में जाकर नौकरी करने लगे. फिर डेढ़ साल बाद कुछ यूं हुआ कि कनिष्क वापस आए और अनोखे ढंग से यूपीएससी की तैयारी की. फिर पहले ही अटेंप्ट में आईएएस टॉपर बन गए. आइए जानें- क्या था वो तरीका, और क्या है कनिष्क की पूरी कहानी.

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कनिष्क बचपन से ही पढ़ाई में हमेशा अव्वल थे. 10वीं और 12वीं दोनों ही परीक्षा में उनके 90 पर्सेंट से हमेशा अध‍िक नंबर आए. 12वीं के बाद कनिष्क ने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश दिलाने वाली जॉइंट एंट्रेंस इग्ज़ाम (JEE) परीक्षा दी. इसमें उन्होंने ऑल इंडिया 44वीं रैंक हासिल की. इसके बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में दाख‍िला लिया.

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IIT बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन के दौरान भी उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा. यहां से पासआउट होने के बाद वो सीधे साउथ कोरिया में नौकरी करने चले गए. हालांकि विदेश जाने से पहले उनके पिता ने कहा कि एक बार यूपीएससी की कोश‍िश कर लो.

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उन्होंने अपने पिता की बात मानकर सीसैट परीक्षा दी, लेकिन उनका इसमें चयन नहीं हुआ. कनिष्क अपने एक वीडियो इंटरव्यू में बताते हैं कि मेरे पापा ने अपनी तरफ से ही इसका फॉर्म भर दिया था. मैंने बिना तैयारी किए बिना मन के ये परीक्षा दी, क्योंकि मुझे रिजल्ट से फर्क नहीं पड़ता था. मैं तो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहता था.

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फिर विदेश में नौकरी के दौरान उन्हें उतना मजा नहीं आया और वो डेढ़ साल नौकरी के बाद भारत लौट आए. फिर यहां आकर बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी ज्वाइन कर ली. इन कंपनी में भी कनिष्क ने एक साल नौकरी की. बस यही उनका टर्निंग प्वाइंट बना जब जॉब के दौरान उन्हें भारत और विदेशों के बीच सिस्टम में अंतर दिखा. यहीं से उन्हें सिस्टम का हिस्सा बनने की ललक जागी.

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कनिष्क ने उसी वक्त प्लान किया और लाखों रुपये की नौकरी का पैकेज छोड़कर तैयारी के लिए निकल पड़े. सबसे पहले उन्होंने दिल्ली में आकर IAS की कोचिंग ज्वाइन की. फिर उसके कुछ ही महीने बाद बेसिक आइड‍िया की जानकारी लेकर वो जयपुर लौट गए.

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कनिष्क की तैयारी की कोई खास स्ट्रेटजी नहीं थी. उनके दोस्तों ने अपनी तरह से प्लानिंग की थी, जिसे कनिष्क ने भी कुछ बदलाव करके उसी के हिसाब से तैयारी शुरू कर दी. वो दिन के आठ दस घंटे सेल्फ स्टडी और तैयारी को देने लगे.

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कनिष्क बताते हैं कि मैंने सबसे ज्यादा फोकस अपनी टाइमलाइन तैयार करने में किया. मसलन कौन सा प्रश्न कितना समय लेता है. प्रीलिम्स की तैयारी के दौरान उन्हें इंजीनियरिंग की तैयारी का भी फायदा मिला. वो कहते हैं कि इंजीनियरिंग की तैयारी कर चुके अभ्यर्थि‍यों को तैयारी में इसका फायदा मिलता है.

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कनिष्क अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं. उनके पिता सिविल सर्विसेज में हैं, वो चाहते थे कि कनिष्क एक आईएएस अफसर बने. कनिष्क का कहना है कि मेरे पिता को इस बात पर ज्यादा यकीन था कि मैं इसे कर सकता हूं.

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कनिष्क के परिवार में उनकी मां होममेकर और बहन डॉक्टर हैं. वो कहते हैं कि अगर यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवार टॉपर्स की स्ट्रेटजी और पढ़ाई के लिए पूरे सिलेबस को समझ लें तो उन्हें सफलता जरूर मिलती है. खुद पर भरोसा रखना ही इस परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र है.

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