जहां एक ओर यूपीएससी की परीक्षा मुश्किल परीक्षा में से एक मानी जाती है, वहीं दूसरी ओर यूपीएससी का इंटरव्यू भी उम्मीदवारों के लिए आग का दरिया जैसा होता है. आज हम आपको ऐसे ही एक उम्मीदवार के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पहली दो कोशिशों में इंटरव्यू इंग्लिश में दिया था, लेकिन सेलेक्ट नहीं हुए, लेकिन तीसरे प्रयास में इंटरव्यू हिंदी में दिया और सेलेक्ट हो गए. इन्होंने साल 2018 में 73वीं रैंक हासिल की थी.
इस उम्मीदवार का नाम दिलीप कुमार है. दिलीप ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को क्लियर किया था.
आपको बता दें, दिलीप ने पहले दो बार यूपीएससी की परीक्षा इंग्लिश माध्यम से दी थी. जाहिए है इंटरव्यू भी इंग्लिश भाषा में दिया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. उनके मुताबिक इंग्लिश में इंटरव्यू देने की वजह से स्कोर अच्छा नहीं कर पा रहे थे.
तीसरे प्रयास में उन्होंने परीक्षा तो इंग्लिश माध्यम से दी थी, लेकिन इंटरव्यू हिंदी माध्यम से दिया था. जिसमें उनका सेलेक्शन हो गया था. दिलीप कुमार ने बताया कि दो बार यूपीएससी परीक्षा के इंटरव्यू में असफलता हासिल करने के बाद तीसरे प्रयास के लिए अपनी स्ट्रेटजी बदली थी.
दिलीप कुमार ने बताया कि 2016-2017 के प्रयास में इंटरव्यू में उन्हें 143 मार्क्स मिले थे, वहीं 2019 में उन्होंने हिंदी में इंटरव्यू दिया जिसमें उन्हें 179 मार्क्स मिले थे. बता दें, यूपीएससी इंटरव्यू 275 मार्क्स का होता है.
दिलीप कुमार ने बताया जब मैं पहली बार यूपीएससी इंटरव्यू देने जा रहा था तो सोच रहा था कि मेरा माध्यम हिंदी होना चाहिए या इंग्लिश.
वहीं पहले ऐसा लगता था कि अगर हिंदी भाषा का चयन कर लूंगा तो पूरी तरह से हिंदी में बोलना होगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. उन्होंने बताया यदि इंटरव्यू में हिंदी भाषा का चयन करते हैं तो जरूरी नहीं है कि पूरी तरह से शुद्ध हिंदी बोली जाए. बीच- बीच में इंग्लिश शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
दिलीप ने दो बताया दो बार इंटरव्यू में 143 मार्क्स आने के बाद मैंने महसूस किया कि इससे बुरे नंबर क्या ही आ सकते हैं. जिसके बाद मैंने इंटरव्यू देने के लिए भाषा को बदलने का फैसला किया.
वहीं दिलीप ने बताया मैंने ऐसा इसलिए भी किया क्योंकि मेरी स्कूलिंग हिंदी माध्यम से हुई थी. वहीं हम आम बोलचाल में हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं.
दिलीप ने बताया कि मैंने ऐसा महसूस किया कि इंटरव्यू बोर्ड के सामने इंग्लिश में इंटरव्यू देने पर मैं नर्वस हो जाता हूं. जिसके बाद मैंने हिंदी भाषा का चयन किया था.
कई बार इंग्लिश माध्यम से आंसर देने पर जो बात में कहना चाहता था वो इंटरव्यू बोर्ड तक शायद उतने अच्छे से नहीं पहुंच पाती थी. जितने अच्छे से मैं हिंदी में बोलने पर पहुंच जाती थी. मुझे हिंदी भाषा में इंटरव्यू देने पर सहज महसूस हुआ.
दिलीप ने बताया कि इंटरव्यू में जितने नॉलेज की जरूरत है उतने ही पर्सनालिटी भी दिखी जाती है. पिछले दो इंटरव्यू में मैंने नॉलेज पर काम किया. लेकिन तीसरे इंटरव्यू में मैंने इंटरव्यू पर्सनालिटी पर काम किया. वहीं खुद को करंट खबरों को लेकर अपडेट रखा. इसी के साथ खबरों यदि कोई बड़े विवाद- मुद्दे चल रहे हो उसके बारे में मेरी
क्या राय है, इस बात पर ध्यान देता था. इसी के साथ मैं टेंशन फ्री इंटरव्यू
देने गया था.
दिलीप ने बताया इंटरव्यू से पहले जो फॉर्म भरा जाता है तो उसमें अपनी हॉबी को सही भरें, क्योंकि इंटरव्यू में आपसे उससे संबंधित सवाल पूछे जा सकते हैं.
वही दिलीप ने बताया जरूरी नहीं है आप जैसे परीक्षा करते हो वह सही है. परीक्षा की तैयारी में बदलाव करना जरूरी हो जाता है. इससे आपका प्रदर्शन और बेहतर हो जाता है.
(सभी तस्वीरें फेसबुक से ली गई है)