गणतंत्र दिवस पर जिन बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार दिया गया है, इनके किस्से आपको हौसले के साथ प्रेरणा देने वाले हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन बच्चों को वीरता पुरस्कार से नवाजा है. भारतीय बाल कल्याण परिषद ने इस साल 22 बच्चों को वीरता पुरस्कार दिया है. इनमें से केरल के कोझीकोड के रहने वाले मुहम्मद मुहसिन ने समुद्र में बहते अपने दोस्तों को बचाने के लिए जान गंवा दी. आइए जानते हैं ऐसे ही बहादुर बच्चों की कहानी जिन्होंने जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाई.
पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में असम के मास्टर कमल कृष्ण दास, छत्तीसगढ़ की कांति पैकरा और वर्णेश्वरी निर्मलकर, कर्नाटक की आरती किरण सेठ औरवेंकटेश, केरल के फतह पीके, महाराष्ट्र की जेन सदावर्ते और आकाश मछींद्र खिल्लारे हैं. इसके अलावा मिजोरम के तीन बच्चों और मणिपुर व मेघालय से एक एक बच्चों को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है.
22 बहादुर बच्चों में से 10 लड़कियों ने भी वीरता पुरस्कार पाया है. हिमाचल प्रदेश की अलाइका की कहानी भी कुछ ऐसी है. 13 साल की अलाइका ने एक हादसे से अपने माता, पिता और दादा की जान बचाई. अलाइका की मां सविता वो हादसा याद करके आज भी भावुक हो जाती हैं.
सविता ने बताया कि हम एक बर्थडे पार्टी में जा रहे थे. पालमपुर के पास अचानक हमारी कार खाई में जाने लगी. इसे किस्मत कहें या संयोग कि कार एक पेड़ के तने से रुक गई. इस हादसे में हम सब बेहोश हो गए, लेकिन अलाइका सबसे पहले होश में आई और लोगों को मदद के लिए बुलाया. अगर वो नहीं होती तो शायद आज हमारा परिवार ही न होता.