विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी (pandemic) घोषित कर दिया गया है. कोरोना वायरस पर स्वास्थ्य मंत्रालय भी अलर्ट मोड में है. आइए जानते हैं महामारी कब और कैसे घोषित की जाती है.
आपको बता दें, भारत में कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या 73 हो गई है. पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
इस वायरस के चलते भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए दुनिया के सभी देशों के लिए जारी वीजा को रद्द कर दिया है. ये वीजा अभी 15 अप्रैल तक के लिए रद्द कर दिया गया है.
जिसका मतलब ये है कि दुनिया का कोई भी नागरिक कोरोना वायरस की वजह से भारत में नहीं आ पाएगा. सिर्फ डिप्लोमेट्स को इस फैसले में छूट है.
जानिए- क्या है महामारी (पैनडेमिक) और कब होती है घोषित
मेडिकल साइंस की भाषा में पैनडेमिक बीमारी के ऐसे हालात को कहा जाता है. जिसकी वजह से दुनियाभर में एक ही समय पर बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो जाते हैं.
आपको बता दें, साल 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वाइन फ्लू (swine flu H1N1) को महामारी घोषित कर दिया था. जिसकी वजह से कई लोगों की जान गई थी.
आसान शब्दों में कहे तो जब किसी भी वायरस से फैलने वाली बीमारी अधिक स्तर पर फैलती है और दुनियाभर के लोगों को नुकसान पहुंचाती है तो इस स्थिति में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) उस बीमारी को महामारी घोषित कर सकता है.
WHO यह कैसे तय करता है कि किसी बीमारी को महामारी कहा जाए?
जब कोई बीमारी लोगों में आसानी से फैलती है तो उस बीमारी के महामारी घोषित होने की आशंका बढ़ जाती है.
एक बार महामारी घोषित होने के बाद, सरकारों और स्वास्थ्य प्रणालियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे इसके लिए तैयार हैं.
महामारी की घोषणा कब की जाती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ऐसे तय नहीं किया जा सकता है महामारी की घोषणा कब करनी है. इसकी कोई सीमा नहीं है. जैसे कि एक निश्चित संख्या में मृत्यु या संक्रमण तेजी से बढ़ता है, इसके बाद महामारी को घोषित करने संभावना बढ़ जाती है.
आपको बता दें, चूंकि अब तक कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए कोई वैक्सीन या ठोस इलाज उपलब्ध नहीं है, ये तेज़ी से अपने पैर पसार रहा है.
WHO ने इस वायरस को नहीं किया था महामारी घोषित
साल 2003 में पहचाने गए सार्स कोरोनवायरस, सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम (सार्स, SARS coronavirus) को WHO द्वारा 26 देशों को प्रभावित करने के बावजूद महामारी घोषित नहीं किया गया था. इस वायरस से चीन, हांगकांग, ताइवान, सिंगापुर और कनाडा जैसे देश प्रभावित हुए थे. आपको बता दें, सार्स की वजह से जहां 774 मौतें हुई थीं. वहीं 8,098 लोग इससे संक्रमित हो गए थे.
कैसे हो सकता है बचाव
कोराना वायरस से बचने के लिए हाइजीन बनाए रखना बहुत जरूरी है. अपने आस-पास साफ सफाई का पूरा ख्याल रखें. अच्छे से हाथ धोने के लिए साबुन या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. इसके बाद हाथों को करीब 20 सेकंड तक अच्छे से स्क्रब करें. हाथ धोने के बाद किसी साफ कपड़े से पोछें या ड्रायर से हाथों को सुखाएं.
खांसने के दौरान टिश्यू मुंह पर रखें और फिर उसे कवर्ड डस्टबिन में फेंक दें. किसी अन्य व्यक्ति के छींकने या खांसने पर भी अपनी सुरक्षा के लिए टिश्यू का इस्तेमाल करें.
सार्वजनिक स्थलों पर जाने से पहले मुंह को अच्छी तरह से कवर करें. इसके लिए N95 मास्क पहनना न भूलें.
क्या है बेहतर साबुन या सैनिटाइजर
ये बहस शुरू हो गई है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सैनिटाइजर और साबुन में से क्या बेहतर है. ताजा जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ वेल्स के प्रोफेसर पॉल थॉर्डर्सन ने कोरोना वायरस से बचने के लिए साबुन को ज्यादा बेहतर विकल्प बताया है. साबुन वायरस में मौजूद लिपिड का आसानी से खात्मा कर सकता है.
WHO की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और ज्यादातर लोग छह दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं.