अमेरिका में जॉर्ज फ्लायड की हिरासत में मौत के बाद से पूरे देश में नस्लभेद के खिलाफ आंदोलन तेज हो गए. इन्हीं आवाजों में Black Lives Matter नाम से शुरू हुए आंदोलन में भारत की बेटी क्षमा सावंत की आवाज भी गूंज रही है. वो आंदोलन के मुख्य चेहरों में से एक हैं. आइए जानें कौन हैं महाराष्ट्र की क्षमा सावंत और किस तरह वो अमेरिका में नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठा रही हैं.
अमेरिका के सिएटल में ‘Black Lives matter’ आंदोलन में अग्रणी क्षमा सावंत हर मंच से अपनी बात रख रही हैं. अमेरिका में नस्लभेद को लेकर उनकी इस आवाज को पूरी दुनिया ने सुना है. वो प्रभावित क्षेत्र से स्थायी तौर पर सिएटेल के पुलिस अधिकारियों को बाहर रखने
की मांग को लेकर मोर्चा कर रही हैं.
फॉक्स न्यूज के अनुसार सिएटल सिटी काउंसिल वुमन क्षमा सावंत इस क्षेत्र में पुलिस को बाहर ही रखने के लिए कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित कर रही हैं. बता दें कि मिनियापोलिस में पुलिस हिरासत में काले अमेरिकी व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से ही अमेरिका में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई सप्ताह से यहां गतिरोध जारी है. महाराष्ट्र के पुणे में जन्मी सावंत ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वह छह ब्लॉक वाले इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत बनाए रहे जिसे उन्होंने ' नो कॉप' यानी पुलिस वर्जित क्षेत्र घोषित कर रखा है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘हमारे आंदोलन को पूर्वी प्रांत को पुलिस को वापस नहीं दिया जाना सुनिश्चित करना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि इसे स्थायी तौर पर समुदायिक नियंत्रण वाले क्षेत्र में बदल दिया जाए. मेरा कार्यालय पूर्वी प्रांत को रेस्टोरेटिव जस्टिस (एक ऐसी प्रणाली जिसमें अपराध करने वाले को पीड़ित और समुदाय के साथ बातचीत करके उसमें सुधार लाने के रास्ते तलाशे जाते हैं) का सामुदायिक केंद्र बनाने के लिए विधेयक ला रहा है.'
मंगलवार को उन्होंने एक ऐसे प्रदर्शन में हिस्सा लिया जिसमें पुलिस को डिफंड (पुलिस के बजट में कटौती करके उस धन का इस्तेमाल शिक्षा, स्वास्थ्य, लोगों को आवास मुहैया कराने में किया जाए) करने की बात कही जा रही थी, इसमें सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने हिस्सा लिया.
उन्होंने इस दौरान
प्रदर्शनकारियों को सिटी हॉल में प्रवेश की अनुमति दी. इस दौरान
प्रदर्शनकारियों ने मेयर जैनी डर्कन के इस्तीफे की भी मांग की. क्षमा सावंत को ब्लैक अमेरिकी सहित विभिन्न अन्य समुदायों का सहयोग मिल रहा है.