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कमल की कहानी: 40 साल पहले कैसे बना BJP का चुनाव चिन्ह

aajtak.in
  • 06 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 10:34 PM IST
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आज ही की तारीख 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी  (BJP) की स्थापना हुई थी. आज इस पार्टी ने 40 साल पूरे कर लिए हैं.  कभी इस पार्टी ने 2 सीटें जीती थी, लेकिन मौजूदा वक्त में बीजेपी 300 से ज्यादा सीटें जीतकर देश की सत्ता पर काबिज है. वहीं क्या आपने कभी  सोचा है आखिर इस पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल का फूल ही क्यों है. इसकी क्या वजह है?

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सबसे पहले आपको बता दें, स्वतंत्रता सेनानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. जो आगे चलकर  बीजेपी पार्टी में तब्दील हो गई. पहले भारतीय जनसंघ का चुनाव चिन्ह 'दीपक' हुआ करता था.


(Photo credit: Mandar Deodhar)

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1977 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल खत्म करने की घोषणा की इसके साथ देश में फिर से आम चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई. जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया. उस समय 'दीपक' का चिन्ह बदलकर 'हलधर किसान' हो गया.

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उस दौरान जनता पार्टी का मकसद इंदिरा गांधी को परास्त करना था. जिसके बाद  चुनाव में जनता पार्टी को जीत मिली और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. इस चुनाव में जनसंघ से आए नेताओं को अच्छी कामयाबी मिली.

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फिर 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की गई और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने.

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जिसके बाद पार्टी का चुनाव चिह्न कमल बनाया गया. कमल के फूल को हिन्दू परंपरा से जोड़कर भी देखा जाता है.

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बता  दें, बीजेपी के संस्थापकों ने 'कमल' को चुनाव चिन्ह इसलिए बनाया था क्योंकि  इस चिन्ह को पहले  भी ब्रिटिश शासन के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था.

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