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एक टीचर ऐसा भी, जिसने बच्चों की खातिर लड़ी लंबी लड़ाई

जज़्बा हो तो आसमान में भी छेद करना संभव है. ऐसे ही जज़्बे और हौसले की कहानी लेकर आए हैं हम, जिससे आप काफी कुछ सीख सकते हैं...

छात्रों को किराए के घर में पढ़ाते दिनेश कुमार छात्रों को किराए के घर में पढ़ाते दिनेश कुमार
मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST

कहते हैं हौसला हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं. ऐसी ही एक सफलता की कहानी है उज्जैन के एक टीचर की.

एक टीचर अपने छात्रों के लिए क्या कर सकता है और कितना मायने रखता है, इसका एक उदाहरण उज्जैन के रहने वाले और सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक दिनेश कुमार जैन ने दिया है.

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उज्जैन के लसुड़िया चुवड़ गांव में चार साल तक एक किराए के कमरे में बच्चों को पढ़ाने वाले दिनेश कुमार जैन ने आख‍िरकार अपने छात्रों की पढ़ाई के लिए एक छत की लड़ाई जीत ही ली. 

दरअसल, दिनेश कुमार जिस सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे, उसकी छत टूटी थी, जिसकी मरम्मत के लिए दिनेश कुमार ने 12 बार एजुकेशन डिपार्टमेंट को खत लिखा.

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खत पर संज्ञान तो नहीं लिया गया, पर बिल्डि‍ंग की खस्ता हालत को देखते हुए स्कूल सील कर दिया गया. वहां पढ़ने वाले सभी छात्रों की पढ़ाई खतरे में आ गई. ऐसे में दिनेश 6 साल तक नई बिल्डि‍ंग की मांग करते रहे.

उनकी मांग से परेशान होकर डिपार्टमेंट ने उनका तबादला कर दिया. हालांकि दिनेश ने अपनी जगह तो नहीं बदली, पर वो इसके लिए हाईकोर्ट पहुंच गए. तबादला रद्द हो गया. अब दिनेश एक किराए के घर में बच्चों को पढ़ाते हैं.

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उनकी कोश‍िशों का ही नतीजा है कि अब डिपार्टमेंट ने नए आंगनबाड़ी केंद्र में यह स्कूल चलाने का फैसला लिया है.

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