
जल हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है. बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के रूप में जाना जाता है. साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई. जिसके बाद साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना था.
ये सभी जानते हैं कि जल हमारे लिए महत्वपूर्ण संसाधन है. जल के बारे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसमें सामने आया है कि कैसे विश्व भर में और खास तौर पर भारत में जल को बर्बाद किया जा रहा है.
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जानें जल से जुड़े कुछ फैक्ट्स
- आंकड़े बताते हैं कि विश्व के करीब 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है.
- बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 पानी लीटर खर्च होता है.
- धरती पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है. 97.5% पानी समुद्र में है, जो खारा है. बाकी 1.5 % पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है. इसमें से बचा 1% पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है, जो पीने के लायक है. इस 1% पानी का 60वां हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है, बाकी का 40 वां हिस्सा पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं.
- विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है.
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संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी
जल को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 2040 तक दुनिया में पानी की इतनी किल्लत होगी कि हर 4 में से 1 बच्चा प्यासा रहेगा. साल 2017 में जल दिवस के मौके पर यूनिसफ ने एक रिसर्च पब्लिश की थी जिसमें कहा गया था कि दो दशक के भीतर ही दुनिया में 600 मिलियन बच्चे ऐसे क्षेत्रों में होंगे, जहां पानी की अत्यधिक कमी होगी.
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इस दौरान सबसे ज्यादा किल्लत उन देशों में होगी जहां सूखे की स्थिति भयावह रूप ले लेती है. इनमें इथोपिया, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान आदि प्रमुख हैं. बता दें, इस रिपोर्ट को Thirsting for a Future: Water and Children in a Changing Climate नाम से प्रकाशित किया था. इसमें दावा किया गया था कि सबसे ज्यादा दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के देशों में पानी की किल्लत हो सकती है.