
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जितनी बड़ी जीत मिली, कांग्रेस के लिए उतनी ही बड़ी हार थी, 1984 के चुनावों में 415 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 30 साल बाद उतनी सीट भी नहीं जीत पायी, जितने प्रतिशत वोट उसे राजीव गांधी के समय मिले थे. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को 48% वोट मिले थे, जबकि पिछले आम चुनाव में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमटकर रह गई थी.
लेकिन कांग्रेस का बुरा दौर लोकसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं रहा 2014 लोकसभा चुनावों के बाद पिछले तीन सालों में जहां भी विधानसभा चुनाव हुए, कांग्रेस कहीं भी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई. हालांकि पंजाब और संघ शासित क्षेत्र पुडुचेरी में वो दूसरी पार्टियों से सत्ता छीनने में जरूर कामयाब रही.
कांग्रेस की अब 29 में से केवल 4 राज्यों कर्नाटक, पंजाब, मिजोरम और मेघालय में सरकार बची है. दूसरी तरफ, इस समय बीजेपी 14 राज्यों में अपने बूते सरकार चला रही है और 5 राज्यों में गठबंधन सरकार में जूनियर पार्टनर है.
लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश और उससे अलग हुए राज्य तेलंगाना में चुनाव हुए थे. लेकिन दोनों में से किसी भी राज्य में कांग्रेस को सत्ता वापस नहीं मिली. अरुणाचल प्रदेश में जरूर उसे जीत मिली थी, लेकिन बाद में वहां पार्टी टूट गई और दूसरा धड़ा बीजेपी के साथ जा मिला.
इसके बाद जम्मू-कश्मीर, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए. चारों ही राज्यों में कांग्रेस सत्ता में भागीदार थी. हरियाण में वो अपने बूते सरकार चला रही थी और बाकी तीनों राज्यों में उसकी गठबंधन की सरकार थी. हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में बीजेपी कांग्रेस से कुर्सी छीनने में सफल रही, जबकि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ उसकी गठबंधन की सरकार है.
इस साल के शुरू में 5 राज्यों में चुनाव हुए, जिसमें से पंजाब में कांग्रेस ने अकाली-बीजेपी को धूल चटाई, लेकिन उत्तराखंड और मणिपुर बीजेपी के हाथों में चले गए. वैसे, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार बनाने में बीजेपी कामयाब रही. गुजरात में बीजेपी एक बार फिर अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही, जबकि हिमाचल प्रदेश में उसने कांग्रेस के किले में सेंध लगा दी और उसकी सरकार बनने जा रही है.