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कर्नाटक: कुछ घंटे में पता चलेगा, किसने जीता जनता का ‘दिल’

बताया जा रहा कि मतगणना लगभग 40 केंद्रों पर सुबह आठ बजे शुरू होगी. रुझान एक घंटे के भीतर आने शुरू हो सकते हैं. देर शाम तक पता चल सकेगा कि सत्ता की चाबी किसे मिलेगी. 

बीएस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया बीएस येदियुरप्पा और सिद्धारमैया
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:31 AM IST

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अब कुछ ही घंटे रह गए हैं. 222 सीटों पर पड़े मतों की गिनती आज सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी. कर्नाटक का चुनाव कई लोगों के लिए प्रतिष्ठा बन गया है. इस चुनाव में एक ओर जहां सिद्धारमैया और बीएस येदियुरप्पा के बीच कुर्सी की लड़ाई है, वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ी हुई है.

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40 केंद्रों पर सुबह 8 बजे से मतगणना

बताया जा रहा कि मतगणना लगभग 40 केंद्रों पर सुबह आठ बजे शुरू होगी. रुझान एक घंटे के भीतर आने शुरू हो सकते हैं. देर शाम तक पता चल सकेगा कि सत्ता की चाबी किसे मिलेगी.  

जेडीएस के पास सत्ता की चाबी

चुनाव के बाद एग्जिट पोल में भी किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है.  राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के भी आसार हैं. ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल (एस) ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकती है.

224 में से 222 सीटों पर मतदान

224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा की 222 सीटों पर 12 मई को मतदान हुआ था. यहां आरआर नगर सीट पर चुनावी गड़बड़ी की शिकायत के चलते चुनाव आयोग ने मतदान स्थगित कर दिया गया था. वहीं जयनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार के निधन के चलते मतदान टाल दिया गया था.

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कांग्रेस जीती तो बनेगा रिकॉर्ड

यदि कांग्रेस के पक्ष में स्पष्ट जनादेश जाता है तो 1985 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई दल लगातार दूसरी बार सरकार बनाएगा. 1985 में तत्कालीन जनता दल ने रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी.

दलित के लिए कुर्सी छोड़ने को तैयार सिद्धारमैया

नतीजों से ठीक पहले कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के दावेदार सिद्धारमैया ने कह दिया है कि यदि आलाकमान फैसला करता है तो वह किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर खुद कुर्सी छोड़ने को तैयार है. उनके इस बयान के बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि राज्य में खंडित जनादेश आ सकता है. उनके इस बयान को जेडीएस से गठबंधन के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है.  

खड़गे और परमेश्वर भी कतार में

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, इसलिए लोकसभा सांसद मल्लिककार्जुन खड़गे और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जी परमेश्वर जैसे दलित नेताओं को भी सीएम के संभावित विकल्पों के रूप में देखा जा रहा है. अगर राज्य में भाजपा जीतती है तो एक बार फिर इसे मोदी के करिश्मे के रूप में लिया जाएगा तथा भाजपा शासित मध्य प्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार होगा.

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त्रिशंकु विधानसभा में ये भी संभावना

त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में एक संभावना यह हो सकती है कि 2004 की तरह ही कांग्रेस और जेडीएस के बीच गठबंधन हो जाए जब कांग्रेस के दिग्गज धर्म सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी थी. यदि इन दोनों के बीच गठबंधन होता है तो जेडीएस मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के नाम पर सहमत नहीं होगा और वह किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर सकता है.

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