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4 मार्च को होगा मुख्तार के बेटे अब्बास की किस्मत का फैसला, शौक पिता से लेकिन चाह अलग

यूपी के चुनावी दंगल में अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. एक वक्त था जब बुनकर की नगरी मऊ को देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरु ने मेनचेस्टर की पदवी दी थी लेकिन आज पूर्वांचल का यह इलाका सबसे उपेक्षित है.

मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी
मौसमी सिंह
  • मऊ,
  • 01 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST

यूपी के चुनावी दंगल में अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. एक वक्त था जब बुनकर की नगरी मऊ को देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरु ने मेनचेस्टर की पदवी दी थी लेकिन आज पूर्वांचल का यह इलाका सबसे उपेक्षित है. यहां की सियासत बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के परिवार के बीच सिमट के रह गई है. इस बार चुनाव में अंसारी परिवार की एक नई पीढ़ी अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश में जुटी है.

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उत्तर प्रदेश की चुनावी रेस अब अपने आखिरी पड़ाव में है. आखिरी के दो राउंड में सभी सियासी दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. आज हम आपको पूर्वांचल के उस जिले से रूबरू करवा रहे हैं जो आजादी की लड़ाई से ज्यादा बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के नाम से जाना जाता है. इन चुनावों में उनके साथ-साथ उनका बड़ा बेटा अब्बास अंसारी भी अपनी किस्मत आजमा रहा है.

7 देशों में भारत का परचम लहरा चुके हैं अब्बास अंसारी
आपको बता दें कि अब्बास अंसारी देश के युवा निशानेबाज हैं और देश के लिए कई गोल्ड मैडल जीत चुके हैं. 7 देशों में भारत का परचम लहरा चुके हैं. अब अपने पिता की कर्मभूमि को अपनी कर्मभूमि बनाने की कोशिश में जुटे हैं. 25 साल के अब्बास अंसारी माफिया डॉन और नेता मुख्तार अंसारी के बेटे हैं.

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पिता मुख्तार जैसे शौक लेकिन चाह अलग
आज की तारीख में अब्बास अंसारी की पहचान उनके पिता के नाम से है. हालांकि अपने पिता की ही तरह उन्हें चश्मे पहनने का शौक अंदाज भी बिलकुल पिता जैसा है पर वो अपने पिता का अक्स बनने के बजाय अपनी एक अलग कहानी लिखना चाहते हैं.

घोसी में है कड़ी लड़ाई
अब्बास घोसी विधानसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जहां से भाजपा के कद्दावर नेता फागू चौहान और सपा के मौजूदा विधायक सुधारकर सिंह मुकाबले में हैं. उनके लिए उनके पिता उनका आदर्श हैं और वो उनकी विरासत को आगे ले जाना चाहते हैं. यही वजह है कि बार-बार वे उनका नाम मंच से लेते हैं.

अंसारी परिवार की चौथी पीढ़ी
सियासत में उतरने वाली अपने परिवार की चौथी पीढ़ी है. उनके पर दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी आजादी के आंदोलन के दौरान कांग्रेस के नेशनल प्रेजिडेंट थे. जिनके नाम से दिल्ली में डॉ. अंसारी रोड है और मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान थे जिनको परमवीर चक्र मिला था. अब्बास ने दिल्ली विश्विद्यालय में बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई की है और मनिपाल से मैनेजमेंट की पढ़ाई की. यही नहीं शूटिंग में मेडल जीत कर उन्होंने देश का नाम रोशन किया. उनका मानना है आज वो जो भी हैं अपने पिता के वजह से हैं.

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"पापा से जलते हैं कुछ लोग"
मेरे पापा यहां से विधायक रहे. उन्होंने जो काम किया उसके बाद कोई काम नहीं हुआ. बिजली का तार देख रहा हूं, एक तार नहीं बदला गया. मेरे पिता ने आप लोग की सेवा की. पिता जी लोगों के लिए मसीहा हैं. कुछ लोग जो पिता से जलते हैं वो आरोप लगा रहे हैं. मोदी जी ने कहा पैसा एकाउंट में आएगा. 14 से 17 हो गया... पैसा आया बा? पैसा चल गया. एक भी फूटी कौड़ी नहीं आई.

पिता हैं आदर्श
भाषणों में अब्बास अंसारी के निशाने पर मोदी हैं तो अखिलेश का जिक्र आते ही अब्बास के तेवर तीखे हो जाते हैं. अब्बास के मुताबिक वो अखिलेश के बिल्कुल उलट हैं और वह अपने पिता से विपरीत अपनी छवि नहीं बनाना चाहते. अखिलेश पर तंज कसते हुए वह कहते हैं कि उनके पिता उनके लिए एक आदर्श हैं वह अपने पिता की तरह ही बनना चाहते हैं.

पहले सपा अब बसपा के साथ अंसारी बंधु
2012 में मुख्तार अंसार घोसी और मऊ सदर दोनों विधानसभा सीट से लड़े. जहां मऊ से मुख्तार जीते तो घोसी से उनको हार का सामना करना पड़ा. अब अब्बास यहां पर अपना सिक्का जमाना चाहते हैं. दरअसल पहले अंसारी बंधुओं ने समाजवादी पार्टी के चिन्ह से लड़ने की कोशिश की थी. लगतार उनको लेकर शिवपाल और अखिलेश में ठनी रही. अंत में मामला बिगड़ता देख अंसारी बंधु मायावती के साथ चल पड़े. मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह गाजीपुर के युसुफपुर मोहमदाबाद से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अब अब्बास के सामने चुनौती होगी जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना.

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