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बाप-बेटे के झगड़े में पिस रहे हैं समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार

लखनऊ में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के घर अगल बगल हैं. दोनों घरों के बीच में कोई दीवार नहीं है लेकिन रिश्तों में उनके बीच इतनी बड़ी दीवार खड़ी हो चुकी है कि परिवार का झगड़ा अब चुनाव आयोग में लड़ा जा रहा है.

मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव
बालकृष्ण
  • लखनऊ,
  • 10 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 7:47 AM IST

लखनऊ में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के घर अगल बगल हैं. दोनों घरों के बीच में कोई दीवार नहीं है लेकिन रिश्तों में उनके बीच इतनी बड़ी दीवार खड़ी हो चुकी है कि परिवार का झगड़ा अब चुनाव आयोग में लड़ा जा रहा है.

मुलायम सिंह यादव कुछ भी दावा करें, ये बात धीरे-धीरे साफ होती जा रही है कि समाजवादी पार्टी में सुलह की गुंजाइश अब लगभग खत्म हो गई है. अखिलेश और मुलायम दोनों गुटों ने सोमवार को अपने दावों को सही साबित करने के लिए अपने अपने दस्तावेज चुनाव आयोग को सौंप दिए हैं.

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मुलायम सोमवार की शाम को ही दिल्ली लौट आए और शिवपाल यावद फिलहाल दिल्ली में ही हैं. माना जा रहा है कि एक दो दिन के भीतर ही अखिलेश दिल्ली जाकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात करेंगे और उसके बाद कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंध को आखिरी रूप दे सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को 88 सीट देने के बारे में मोटे तौर पर सहमति बन भी चुकी है. कांग्रेस के साथ अखिलेश यादव का गठबंधन का इरादा उसी समय साफ हो गया था जब उन्होंने अपनी लिस्ट में उन सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किया जहां कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं. इसके अलावा सोनिया और राहुल के चुनाव क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में भी एक को छोड़कर बाकी सभी सीटें खाली छोड़ी गई थीं.

कांग्रेस से गठबंधन के बीच सबसे ज्यादा परेशान वो उम्मीदवार हैं जिन्हें अखिलेश और मुलायम दोनों ही टिकट देने चाहते हैं. दोनों तरफ से जारी की गई लिस्ट के मुताबिक ऐसे 167 उम्मीदवार हैं जिनका नाम दोनों ही लिस्टों में है. मुलायम सिंह 397 उम्मीदवारों की लिस्ट घोषित कर चुके हैं तो अखिलेश यादव ने 235 उम्मीदवारों की घोषणा की है. ऐसे तमाम उम्मीदवार ये सोच कर मायूस हैं कि बाप बेटे के झगड़े में उनका काम तमाम हो जाएगा. उन्हें अब ये फैसला करना होगा कि वो अखिलेश के खेमे में जाना चाहते हैं या फिर मुलायम सिंह के साथ बने रहना चाहते हैं. ज्यादातर ऐसे उम्मीदवार फिलहाल खुलकर कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें भी इस बात का इंतजार है कि साइकिल चुनाव चिन्ह किसके पास जाता है. ज्यादातर उम्मीदवार ये मानते हैं कि किसे नए चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव जीतना काफी मुश्किल होगा.

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