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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों की नाराजगी की खबरों के बीच बीजेपी ने उन्हें साथ लेने की कवायद तेज कर दी है. इलाके के प्रमुख जाट नेताओं से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में मंगलवार रात को करीब तीन घंटे मुलाकात की और उनकी शिकायतों को दूर करने का वादा भी किया. अमित शाह के साथ जाट नेताओं की मुलाकात हरियाणा के प्रमुख जाट नेता और केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह के घर हुई.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में शाह ने पहले दो घंटे जाट नेताओं की बीजेपी और मोदी सरकार से तमाम शिकायतें सुनीं. इसके बाद उन नेताओं ने हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन का जिक्र किया और कहा कि बीजेपी ने अपना वादा पूरा नहीं किया. जाट नेताओं ने केंद्र में आरक्षण की मांग दोहराई और सख्त लहजे में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जेलों में बंद युवाओं की रिहाई में देरी को लेकर भी सवाल उठा रहे थे. नेताओं का ये भी कहना था कि स्थानीय सांसद समस्याओं को नहीं सुन रहे.
अमित शाह ने दो घंटे इन नेताओं की बात सुनने के बाद अपनी बात शुरू की. उसके बाद अमित शाह ने पूछा कि अगर वो बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते तो ये जरूर बताएं कि वो किसे वोट देंगे? क्या वो अजीत सिंह को वोट देंगे जो अगर चालीस सीट भी जीत लें तो मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे. नहीं तो वो क्या वो सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट देंगे जिन पार्टियों ने जाटों को आरक्षण देने के खिलाफ कोर्ट में हलफ़नामा दिया था. या फिर मायावती की बीएसपी को वोट देंगे जिसमें जाटों को न के बराबर टिकट दिए और सौ से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं?
अमित शाह ने जाट नेताओं से कहा कि बीजेपी ने हमेशा जाटों का साथ दिया वो चाहे यूपी हो, हरियाणा या फिर राजस्थान. अमित शाह ने साफ कहा कि यूपी में जाटों को आरक्षण तब दिया जब रामप्रकाश गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी सरकार थी. राजस्थान में भी वसुंधरा राजे सरकार ने जाट आरक्षण दिया जबकि वहां कांग्रेस ने इसका विरोध किया था. हरियाणा में भी संतोषजनक समाधान निकालने का प्रयास किया गया. उन्होंने ये भी बताया कि बीजेपी ने बड़ी संख्या में जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
बैठक के बाद बीजेपी नेताओं ने दावा किया ये बैठक बहुत कामयाब रही. बैठक के बाद हरियाणा में भी आंदोलनकारी जाट नेताओं से बातचीत के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए. बैठक के बाद बुधवार को पूरे दिन बीजेपी नेता अपने स्तर पर जमीनी हालात का जायजा लेने में लगे रहे. पार्टी दफ्तर से लगातार फोन कर बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से कहते रहे कि जाट नेताओं का बीजेपी के पक्ष में सकारात्मक संदेश जमीन तक जल्दी पहुंचाया जाए.
यूपी विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 140 सीटें बीजेपी के लिए बेहद अहम हैं और पार्टी यहां से बड़ी जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से सारी सीटें जीती थीं. लेकिन नोटबंदी और जाटों की नाराजगी की खबरों के बाद बीजेपी नेताओं को अपना किला हिलता नजर आया तो नाराजगी को दूर करने की कवायद शुरू हो गई है.