Advertisement

कॉलेज के दिनों में मांगकर स्कूटर चलाया करता था: अमिताभ बच्चन

महानायक अमिताभ बच्चन से उनकी आने वाली फिल्म 'वजीर' को लेकर हुई खास बातचीत के पेश हैं कुछ खास अंश.

पूजा बजाज
  • ,
  • 05 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पिछले साल की तरह 2016 में भी व्यस्त रहने वाले हैं क्योंकि 8 जनवरी को रिलीज होने जा रही उनकी  फिल्म 'वजीर' के अलावा भी वह कई फिल्में कर रहे हैं. अमिताभ बच्चन से हुई खास बातचीत में उन्होंने अपने फिल्मी सफर के अलावा अपनी जिंदगी से जुड़े कई किस्सों को शेयर किया.

हाल ही में प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' के दौरान शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को 'दिव्यांग' कहा जाना चाहिए, और फिल्म में आप भी कुछ ऐसे ही किरदार में हैं?
प्रधानमंत्री जी ने बिल्कुल सही कहा, हमने बहुत पहले ही ऐसा निर्णय लिया था कि‍ ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों में बहुत सारी काबिलियत होती है और 'दिव्यांग' काफी अच्छा शब्द है. मैं और जया (जया बच्चन ) कई सालों से हम ऐसी कई संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं जहां 'दिव्यांग' पुरुष और महिलाओं का ख्याल रखा जाता है.

Advertisement

फिल्म में आपको शुरुआत से ही 'दिव्यांग' दिखाया गया है?
नहीं, एक दुर्घटना के दौरान फिल्म में मेरी टांगे कट गई हैं. तो पूरी फिल्म एक व्हीलचेयर पर है.

आपका किरदार 'पंडित जी' कहलाता है, इसका कारण?
यह एक कश्मीरी पंडित हैं जिनका नाम 'ओंकार नाथ धर' है. उनका ताल्लुक कश्मीर से है लेकिन अब वो दिल्ली में रहते हैं.

इस कहानी के जरिए क्या बताने का प्रयास किया जा रहा है?
ये एक थ्रिलर है, ये दो लोगों की कहानी है दोनों के जीवन में ऐसी घटनाएं घटी हैं जिसमें काफी समानता है. फिर दोनों मिलकर उसका समाधान खोजने की कोशिश करते हैं.

फरहान को तो आप बचपन से जानते होंगे?
वो तो हमारे सामने बड़े हुए हैं. बचपन से ही उनका घर में आना जाना रहा. उनकी ख्याति देखकर काफी अच्छा लगता है.

Advertisement

असल जिंदगी में आप किसके साथ शतरंज खेलते हैं, कुछ यादें अगर शेयर करना चाहें?
पहले खेला करते थे, आजकल तो समय मिलता नहीं है, भूल भाल गए हैं, इस फिल्म के दौरान फिर से सीख लिया. ये खेल बहुत ही अद्भुत और विचित्र है. मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि‍ किस तरह से इस खेल के मद्देनजर पूरी फिल्म बनाई गई है. ऐसी फिल्म का हिस्सा बनकर बेहद खुशी है.

आपने इस फिल्म के लिए भी गीत गाया है?
जी, बड़ी मेहनत करनी पड़ती है. हम गायक नहीं हैं. हम कोलकाता में 'तीन' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, वहां पर मुझे फोन आया कि‍ मुझे गाना है, इस तरह से एक रात को आए और गाकर चले गए. आजकल रिकॉर्डिंग का सिलसिला गजब हो गया है. गाना 'ऑटो ट्यून' हो जाता है.

दिल्ली में इन दिनों 'ऑड-इवन' सिस्टम चल रहा है, आप इससे इत्तेफाक रखते हैं?
इस बारे में पढ़ रहा हूं, लेकिन समझ नहीं आया है कि कैसे होगा, क्या करना होगा, अभी तो वहां जाने से पहले सोचना होगा कि दिन कौन सा है? कैसे जाएंगे, इसे सोच विचार करने वाली बात हो गई है. लेकिन अगर इससे प्रदूषण कम हो रहा है, तो उसका जरूर पालन करेंगे.

Advertisement

आपके लिखे हुए लेटर को रणवीर सिंह ने लॉकर में रखवा लिया है और उसे सबसे बड़ा अवॉर्ड मानते हैं, आपके लिए सबसे बड़ा अवार्ड क्या था?
मुझे दिलीप कुमार साहब ने 'ब्लैक' फिल्म देखने के बाद एक पत्र लिखा, जिसे मैंने फ्रेम करके अपने कमरे में लगाया हुआ है. यह काफी बड़ा अवॉर्ड लगता है.

2016 में क्या खास है?
अभी 'वजीर' रिलीज होगी, फिर फिल्म 'तीन' की शूटिंग कर रहा हूं, उसके खत्म होते ही अगले दिन दिल्ली चला जाऊंगा वहां शूजित सरकार की अगली फिल्म की शूटिंग करनी है, उसके एक महीने के बाद 'गौरांग दोषी' की फिल्म करनी है, फिर कुछ टीवी का भी काम करूंगा, फिर कुछ और फिल्में भी हैं. लेकिन इनकी चर्चा समय आने पर जरूर करूंगा लेकिन 3-4 फिल्में और हैं, भाग्यशाली हूं कि‍ इतना काम मिल रहा है.

आप अक्सर किताबों को लॉन्च करते आए हैं. कुछ याद है कितनी किताबें अब तक आप लॉन्च कर चुके हैं?
याद तो नहीं है लेकिन आप पता करके मुझे बताएं ताकि अगली बार लांच के दौरान मैं मंच पर बता सकूं कि‍ कौन से नंबर की किताब लॉन्च करने जा रहा हूं.

दिल्ली में शूटिंग के एक्सपीरियंस को बताएं?

जी दिल्ली में हमने 'वजीर' की शूटिंग की और सरकार का सहयोग भी मिला. दिल्ली के 'राज पथ' पर एक शूटिंग का सीक्वेंस है, उसके लिए सरकार ने सुबह 4-5 बजे तक का वक्त दिया था और हमने शूटिंग कर डाली. हौज खास में भी हमने शूटिंग की.

Advertisement

अपने बैनर तले आप फिल्में प्रोड्यूस कर रहे हैं?
जी हम फिल्मों को प्रोड्यूस कर रहे हैं. अभी 'तीन' फिल्म में थोड़ा पैसा लगा है, फिर और भी जितने प्रोजेक्ट आ रहे हैं उनमें कुछ ना कुछ करने की कोशिश है.

आप फिल्म 'तीन' में स्कूटर चलाते हुए नजर आए हैं, पहले भी चलाते थे क्या?
जी, हमारे पास कभी खुद का स्कूटर तो रहा नहीं, लेकिन कॉलेज के जमाने में चलाते थे, उन दिनों पूरे कॉलेज में गिनती के 8-10 स्कूटर होते थे. हम सब लोग बस में जाते थे. स्कूटर जिनके पास होता था वो 'हीरो' होता था. तो उससे मांग कर चला लिया करते थे.

फिल्म क्रिटिक्स के बारे में क्या कहना चाहते हैं?
फिल्म की समीक्षा को पढ़ना चाहिए. आप उनके साथ सहमति रखें या ना रखें, लेकिन उनको पढ़ना जरूर चाहिए. उनका एक दृष्टिकोण मिलता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement