
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंगा की अविरलता को एक बड़ा मुद्दा बनाने के प्रयास में जुट गए हैं. इस विषय को लेकर राज्य सरकार 25 और 26 फरवरी 2017 को एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन करने जा रही है. इसमें प्रमुख रूप से इस बात को रखा जाएगा कि गंगा की अविरलता तभी कायम रहेगी जब उस पर बैराज का निर्माण ना हो.
फरक्का बैराज का विरोध
राज्य सरकार इस मुद्दे को बड़ा बनाते हुए फरक्का बैराज का विरोध करेगी. 2016 में गंगा में आए उफान के समय भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरक्का को लेकर सवाल उठाया था. बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के द्वारा आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में फरक्का बैराज का पुरजोर विरोध तो होगा ही साथ ही गंगा नदी में हल्दिया से इलाहाबाद के बीच बड़ी संख्या में बैराज निर्माण का भी विरोध किया जाएगा.
सीएम नीतीश करेंगे कार्यक्रम का उद्घाटन
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के नदियों के विभिन्न पहलुओं की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है. जल पुरुष राजेन्द्र सिंह विशेष तौर पर इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे. इस सम्मेलन में पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट, पद्मभूषण बलवीर सिंह सीचेवाला भी उपस्थित रहेंगे.
फरक्का बैराज की वजह से बाढ़
2016 में गंगा नदी ने विकराल रूप धारण किया था. लाखों लोग बिहार में गंगा में आई बाढ़ से बेहाल हो गए थे. उस समय नीतीश कुमार ने आरोप लगाया था कि फरक्का बैराज की वजह से गंगा नदी में सिल्टेशन हो रहा है, नदी में गाद जमा होने की वजह से गहराई कम हो रही है और यही वजह है कि यह बाढ़ का रूप ले रही है. उन्होंने केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया था.
नमामि गंगे को देंगे चुनौती
बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से फरक्का बैराज के डीकमिशनिंग करने एवं राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने का अनुरोध किया था. लेकिन केंद्र की तरफ से कोई खास पहल अभी तक नहीं हुई. इसलिए नीतीश कुमार गंगा की अविरलता को लेकर कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहें है, जो प्रधानमंत्री के नमामि गंगे को चुनौती दे सकता है. दोनों के कार्यक्रमों में बुनियादी फर्क ये है कि नरेंद्र मोदी नमामि गंगे से गंगा को स्वच्छ बनाने में जुटे हैं तो नीतीश कुमार का तर्क है जब तक गंगा अविरल नहीं होगी तब तक स्वच्छता कैसे आएगी.