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तेज बारिश के साथ बिजली गिरने की ये है असली वजह, बचने के आसान उपाय

मानसून की बारिश में अमूमन आसमानी बिजली केगिरने की घटनाएं यदा-कदा ही होती हैं. लेकिन बिहार में कई जगहों पर बिजली गिरने की घटना को वैज्ञानिक मानसून की तेज शुरुआत और गरम हवाओं के बीचमेल-मिलाप से जोड़कर देख रहे हैं.

बिहार में बिजली गिरने से 56 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हैं बिहार में बिजली गिरने से 56 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हैं
अमित कुमार दुबे/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2016,
  • अपडेटेड 8:15 AM IST

बिहार में कई इलाकों में मानसून की बारिश के साथ बिजली गिरने से 56 लोगों की मौत हो गई. मानसून की बारिश में अमूमन आसमानी बिजली के गिरने की घटनाएं यदा-कदा ही होती हैं. लेकिन बिहार में कई जगहों पर बिजली गिरने की घटना को वैज्ञानिक मानसून की तेज शुरुआत और गरम हवाओं के बीच मेल-मिलाप से जोड़कर देख रहे हैं.

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बिहार में बिजली गिरने से 50 से ज्यादा की मौत
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बिहार में इस समय जमीन से तीन से चार किलोमीटर तक ऊंचाई तक हवाओं में उथल-पुथल है. मानसून की हवाएं जैसे ही बिहार में दाखिल हुईं इनका टकराव आस-पास के इलाके की गरम हवाओं से शुरू हो गया. इससे बिहार में बिजली कड़कने के साथ जोरदार बारिश का सिलसिला शुरू हो गया. सोमवार और मंगलवार को बिहार में हुई जोरदार बारिश और कड़कती बिजली से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली जगहों में पटना, कैमूर, रोहतास, छपरा, कटिहार, औरंगाबाद, मधेपुरा और पूर्णिया हैं.

हवा के आपस में टकराने से बिजली गिरने की संभावना
दरअसल बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम की वजह से नम हवाएं दो से तीन किलोमीटर की ऊंचाई तक जा रही हैं, ये नम हवाएं जब ऊपर उठती हैं तो बादल बनते हैं और झमाझम बारिश होती है. लेकिन इस समय उत्तर भारत में तीन किलोमीटर की ऊंचाई के ऊपर पछुआ हवाओं का भी जोर है. पांच किलोमीटर की ऊंचाई तक बह रही ये पछुआ हवाएं सूखी हैं यानी इनमें नमी काफी कम है. इस वजह से नम हवाओं और सूखी हवाओं के बीच बिहार के ऊपर टकराव हुआ और इससे बारिश हुई लेकिन इस टकराव की वजह से बादलों में जबरदस्त तरीके से हुई. रगड़ के चलते जोरदार बिजली पैदा हुई.

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आकाशीय बिजली से बचने के उपाय
मौसम विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जनरल एम महापात्र के मुताबिक बादलों में घर्षण की वजह से बिहार में कई जगहों पर वज्रपात हुआ जिसमें लोगों की मौत हुई. लेकिन आकाशीय बिजली से बचा जा सकता है, सीधा तरीका है कि बिजली कड़कने के वक्त आप पेड़ के नीचे न जाएं और हो सके तो घर में ही रहें. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल बंद कर दें.

पूर्वोतर में बारिश के साथ वज्रपात की ज्यादा संभावना
मौसम विभाग के मुताबिक आते हुए मानसून के दौरान उत्तर भारत और पूर्वोतर भारत में जब भी बारिश होती है तो इसमें वज्रपात की घटनाएं होने की संभावना रहती है. लेकिन इस बार कम समय में वज्रपात की घटनाएं कुछ ज्यादा ही देखी गई हैं. ऐसा कहा जाता है कि वज्रपात के बारे में सटीक अनुमान कर पाना फिलहाल संभव नहीं है. लेकिन एक बात तो वैज्ञानिक दावे के साथ कह सकते हैं कि अगर खराब मौसम में आपने आकाशीय बिजली गिरते हुए देख रहे हैं तो बिजली आप पर नहीं गिरेगी, क्योंकि वज्रपात की रफ्तार प्रकाश की गति के समतुल्य होती है लिहाजा आप अपने ऊपर बिजली गिरते हुए तो कभी भी नहीं देख सकते हैं.

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