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छत्तीसगढ़ राज्य की बीजेपी सरकार ने एक लाख अस्सी हजार शिक्षा कर्मियों की वर्षों पुरानी मांग स्वीकार कर ली है. राज्य सरकार ने शिक्षाकर्मी को सरकारी कर्मचारी घोषित कर दिया है. सरकार ने उनको सविलियन कर उन्हें सरकारी शिक्षक का दर्जा दिया है. शिक्षाकर्मियों के हक में लिए गए इस फैसले से उनके वेतन और भत्तों में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी.
अब शिक्षाकर्मियों को मौजूदा वेतन से 12 से 16 हजार रुपए ज्यादा प्राप्त होंगे, इसके अलावा कई सरकारी सुविधाए भी मिलेंगी. रमन सिंह कैबिनेट ने करीब डेढ़ घंटे की माथापच्ची के बाद शिक्षाकर्मियों की मनमांगी मुराद पूरी कर दी. इस फैसले के बाद राज्य के सभी 27 जिलों में शिक्षाकर्मियों ने मुख्यमंत्री रमन सिंह की जय-जयकार की. कई शिक्षकों ने स्कूल में पहुंचकर छात्रों का मुंह मीठा किया और पटाखे भी फोड़े.
शिक्षाकर्मियों के लिए तय की गई शर्तो के मुताबिक, एक जुलाई 2018 को आठ साल की सेवा करने वाले शिक्षा कर्मियों को पहले सरकारी शिक्षक घोषित किया जाएगा. इसके तहत पहली खेप में लगभग दस हजार और दूसरी खेप में 38 हजार शिक्षा कर्मियों की नौकरी पक्की हो जाएगी. जबकि जैसे-जैसे अन्य शिक्षाकर्मी आठ साल अवधि पूरी करेंगे उनका भी नियमितीकरण कर दिया जाएगा.
नौकरी पक्की होने के इस फैसले पर राज्य की बीजेपी सरकार को 1346 करोड़ का वित्तीय भार उठाना पड़ेगा. नियमित किए गए शिक्षक अब शिक्षक संवर्ग के नाम से जाने जाएंगे और स्कूल शिक्षा विभाग के तहत इनका नियंत्रण होगा. पदोन्नति ,ट्रांसफर, अनुकंपा नियुक्ति और मेडिकल जैसी सुविधाएं इन्हें प्राप्त होंगी.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने रमन सिंह कैबिनेट के इस फैसले को देर आए दुरुस्त आए वाला फैसला बताया है. विपक्ष के मुताबिक वो शिक्षा कर्मियों के हक़ की लड़ाई लड़ने में जोरशोर से जुटी हुई थी. तमाम जिलों में उसने शिक्षा कर्मियों के लिए आंदोलन किया. नतीजतन चुनाव करीब आते ही बीजेपी सरकार को शिक्षाकर्मियों के हक में फैसला लेना पड़ा, कांग्रेसी नेता प्रभात मेघावाले ने कहा कि कांग्रेस के दबाव में बीजेपी ने यह निर्णय किया है.
उधर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने शिक्षा कर्मियों और उनके परिजनों के लिए इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि इसके दूरगामी और रचनात्मक परिणाम सामने आएंगे.