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छत्तीसगढ़ में अब सरकारी कर्मचारी पैदा कर सकेंगे दो से अधिक बच्चे

राज्य के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के मुताबिक हर किसी सरकारी कर्मी का यह मानवधिकार है कि वे जितने चाहें उतने बच्चे पैदा कर सकें. इस पर सरकार का कोई  नियंत्रण नहीं होना चाहिए.

छत्तीसगढ़ कैबिनेट का फैसला छत्तीसगढ़ कैबिनेट का फैसला
सुनील नामदेव/सुरभि गुप्ता
  • रायपुर,
  • 11 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

छत्तीसगढ़ में अब सरकारी कर्मचारियों और अफसरों को दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की छूट मिल गई है. इसके पहले दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले कर्मी कई तरह की सरकारी सुविधाओं और वेतन भत्तों के हकदार नहीं होते थे. छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 22 के उप नियम 4 में प्रावधान था कि शासकीय सेवक परिवार कल्याण से संबंधित नीतियों का पालन करेगा. उधर सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है.

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फैसले का कांग्रेस ने किया विरोध

'हम दो, हमारे दो' वाला दशकों से चला आ रहा परिवार नियोजन का यह नारा अब छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होगा. छत्तीसगढ़ में उन सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है, जो दो या दो से अधिक बच्चे पैदा करना चाहते हैं. उन्हें अब इसके लिए बिल्कुल भी सोचना नहीं होगा क्योंकि सरकार ने खुद  इसकी इजाजत दे दी है. राज्य की रमन सरकार ने कैबिनेट की बैठक में शासकीय सेवकों के दो या दो से अधिक बच्चे पैदा करने को अवचार माने जाने वाले प्रावधान को विलोपित करने का निर्णय लिया है. इससे सरकारी कर्मचारी और अधिकारी दो से अधिक बच्चे पैदा कर सकेंगे. यह फैसला सभी धर्मों और जातियों के सरकारी कर्मियों पर लागू होगा. हालांकि राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. पार्टी की दलील है कि जब देश में खाद्यान की कमी हो रही है और तो और महंगाई पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, ऐसे समय परिवार नियोजन को निरर्थक साबित करने का फैसला बेमानी है.

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छत्तीसगढ़ में करीब 17 लाख सरकारी कर्मचारी हैं

छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका है, जब राज्य की बीजेपी सरकार ने सरकारी कमचारियों के लिए लीक से हट कर कोई फैसला किया है. इसके पहले सरकारी कर्मियों की नियुक्ति ट्रांसफर और वेतन भत्तों को लेकर राज्य सरकार फैसले लिया करती थी. छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों की संख्या 17 लाख के करीब है.

हैरत में हैं सरकारी कर्मचारी

एक सर्वे के मुताबिक राज्य में सरकारी मुलाजिमों में 25 से 35 वर्ष की आयु के कर्मियों की संख्या 38 फीसदी के लगभग है, जबकि 40  से 50 वर्ष की उम्र के 85 फीसदी और 50 से 60 वर्ष की उम्र के कर्मिचारियों व अधिकारियों की संख्या मात्र 17 फीसदी है. सरकार के इस फैसले से किन्हें फायदा होगा यह तो सरकार जाने, लेकिन परिवार नियोजन के मामले में दी गई छूट से खुद सरकारी कर्मचारी और अधिकारी हैरत में हैं. उधर परिवार नियोजन को धत्ता बताने के मामले में सरकार का अपना तर्क है.

ये है सरकार का तर्क

राज्य के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के मुताबिक हर किसी सरकारी कर्मी का यह मानवधिकार है कि वे जितने चाहें उतने बच्चे पैदा कर सकें. इस पर सरकार का कोई  नियंत्रण नहीं होना चाहिए. उनके मुताबिक जब गैर सरकारी लोगों पर बच्चे पैदा करने का कोई नियम नहीं लागू किया गया है, तो सरकारी कर्मियों के लिए भी कोई नियम नहीं होना चाहिए. इसे किसी धर्म या जाति से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.

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आबादी नियंत्रित करने के लिए बना था नियम

'हम दो, हमारे दो' परिवार नियोजन का ये नारा देश भर में प्रचलित है. यह इसलिए आम लोगों तक पहुंचाया गया ताकि देश की आबादी नियंत्रित रहे और आम आदमी का जीवन स्तर सुधरे. परिवार नियोजन का यह नियम उन कर्मचारियों पर लागू किया गया था, जिनके बच्चों का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ हो. छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 22 के उप नियम 4 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक शासकीय सेवक भारत सरकार या राज्य सरकार के परिवार कल्याण से संबंधित नीतियों का पालन करेगा, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में यह नियम कारगर नहीं होगा.

 

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