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दिल्ली: प्रदूषण के मामले में पिछले साल से अब तक बेहतर रहा है यह साल

दरअसल वायु की गुणवत्ता के लिहाज से इस साल नवम्बर का महीना पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहा. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के मुताबिक नवम्बर 2016 में 57 फीसद दिन ऐसे थे जब दिल्ली की हवा गंभीर से आपातकाल स्तर पर थी.

दिल्ली: प्रदूषण के मामले में पिछले साल से बेहतर जा रहा है यह साल दिल्ली: प्रदूषण के मामले में पिछले साल से बेहतर जा रहा है यह साल
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

दिल्ली की गुलाबी सर्दी पर हवा में बढ़ता प्रदूषण भारी पड़ रहा है. साल-दर-साल दिल्ली की जहरीली होती जा रही आबो-हवा से देश की राजधानी की छवि भी खराब हो रही है. बीते रविवार भी भारत-श्रीलंका के बीच चल रहे टेस्ट सीरीज में श्रीलंकाई खिलाड़ियों का मास्क पहन कर ग्राउंड में उतरना इंटरनेशनल मीडिया में भी सुर्खियां बटोर रहा था. लेकिन प्रदूषण को लेकर चल रही तमाम खबरों के बीच दिल्लीवालों के लिए थोड़ी सी राहत की खबर भी है.

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दरअसल वायु की गुणवत्ता के लिहाज से इस साल नवम्बर का महीना पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहा. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के मुताबिक नवम्बर 2016 में 57 फीसद दिन ऐसे थे जब दिल्ली की हवा गंभीर से आपातकाल स्तर पर थी. जबकि नवम्बर 2017 में यानी कि पिछले महीने सिर्फ 41 फीसद दिन ऐसे थे, जब हवा की गुणवत्ता गंभीर से आपातकाल की श्रेणी में थी. इसी तरह अक्टूबर 2016 में गम्भीर से आपातकाल वाले दिनों की संख्या 16 थी जबकि इस साल यानी अक्टूबर 2017 में सिर्फ 9 दिन ऐसे थे जब वायु की गुणवत्ता गंभीर से आपातकाल स्तर में थी. आपको बता दें की 17 अक्टूबर से ग्रेडेड रेस्पांस ऐक्शन प्लान लागू किया गया है जो 15 मार्च तक लागू रहेगा.

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी के मुताबिक, प्रदूषण से निपटने के लिए पहली बार ग्रेडेड रेस्पॉन्स ऐक्शन प्लान बनाया गया है. जिसके जरिए सरकार और एजेन्सियों को ये निर्देश दिया गया कि प्रदूषण का स्तर निम्न, अतिनिम्न और गम्भीर होने के हालात में क्या कदम उठाने होंगे. नवंबर में जब करीब हफ्ते भर तक दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गम्भीर स्तर पर थी, तब ग्रेडेड रेस्पॉन्स ऐक्शन प्लान के तहत दिल्ली में ट्रकों की एंट्री बैन कर दी गई थी, पार्किंग के दाम चार गुना बढ़ा दिए गए थे, करीब 4 दिनों के लिए स्कूलों की भी छुट्टी कर दी गई थी.

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योजना के मुताबिक ऑड इवन भी लागू किया जाना था लेकिन दिल्ली सरकार उसे लागू नहीं करा सकी थी. इन सबके बावजूद सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड ने नवंबर में वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग के जो आंकड़े पेश किए हैं उनका आंकलन करने के बाद ये पता चला है की पिछले साल नवंबर के महीने में 57 फीसद दिन यानी कि करीब 17 दिन ऐसे थे जिनमें दिल्ली की हवा बेहद जहरीली थी. वहीं इस साल नवंबर के महीने में करीब 12 दिन दिल्ली की हवा गंभीर स्तर पर थी. इसका मतलब यह है की EPCA के बनाए ग्रेडेड रेस्पांस ऐक्शन प्लान का फायदा इस साल नजर आया है.

सीएसई का मानना है कि पहली बार लागू होने वाले GRAP की वजह से वायु गुणवत्ता पिछले साल के मुकाबले बेशक कम लेकिन सुधार हुआ है और हवा को ज्यादा प्रदूषित होने से बचाया जा सका है. पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक अगर ऐक्शन प्लान सही तरीके से लागू कराया जाता तो स्थिति और बेहतर हो सकती थी.

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