
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंदर गुप्ता ने मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल बोर्ड की वर्तमान स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करें, ताकि राज्य में अभूतपूर्व जल संकट, अकार्यकुशलता, बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार और जल आपूर्ति में वृद्धि की सभी योजनाएं ठप्प होने की सच्चाई जनता के सामने आ सके.
उन्होंने कहा कि अब जब अरविंद केजरीवाल चारों तरफ से घिर रहे हैं तो उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया है कि सीबीआई उनको दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के मामलों में फंसाने जा रही है, जबकि तथ्य यह है कि केजरीवाल ने जब से दिल्ली जल बोर्ड का पदभार संभाला है, तब से बोर्ड को न केवल ऐतिहासिक घाटा हो रहा है अपितु बोर्ड में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. गुप्ता के इस संवाददाता सम्मेलन में विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा तथा जगदीश प्रधान भी उपस्थित थे.
हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट रद किए
बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जलबोर्ड दिल्ली में जल आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए बाहर से मिलने वाली करोड़ों रुपये की सहायता राशि को प्रयोग करने में विफल रहा है. एशियाई विकास बैंक ने इस काम के लिए बोर्ड को 2,200 करोड़ रुपये स्वीकृत किए. इसके माध्यम से बजीरावाद वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट पर परियोजना स्थापित की जानी थी जिससे लाखों लोगों को लाभ पहुंचता. इसके अंतर्गत 350 करोड़ रुपये के टेंडर को सरकार ने बिना किसी जायज कारण के रद्द कर दिया. आगे का काम भी ठप्प पड़ा है.उन्होंने आरोप लगाया कि जापान इंटरनेशनल कॉपरेशन एजेंसी ने चन्द्राबल वाटर ट्रीटमेंट के अंतर्गत परियोजना स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की, इसके अंतर्गत 250 करोड़ रुपये की लागत से 105 एमजीडी क्षमता का ट्रीटमेंट प्लान्ट लगाने की योजना भी लटक गई. यह योजना भी चल नहीं पाई. 4,200 करोड़ की दो परियोजनाओं के लटकने से दिल्ली की जनता के साथ भारी विश्वासघात हुआ है.
सरकार की विफलता
विपक्ष के नेता गुप्ता ने कहा कि यमुना नदी को साफ करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशानुसार 14 विकेंद्रीकृत सीवर ट्रीटमेंट प्लान्ट लगाने के लिए जल बोर्ड को 50 प्रतिशत फंड भारत सरकार के माध्यम से उपलब्ध कराए गए, लेकिन दिल्ली सरकार ने सभी योजनाओं को ठप्प कर दिया. अब केजरीवाल जवाब दें कि ऐसे में यमुना नदी कैसे साफ होगी.विजेंदर गुप्ता ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अपनी विफलता का ठीकरा केंद्र, उपराज्यपाल और हरियाणा पर थोपने वाले मुख्यमंत्री को दिल्ली जल बोर्ड के सारे अधिकार प्राप्त हैं. यहां तक कि पूर्णराज्य का बहाना करने वाली सरकार को जल बोर्ड को लेकर हर तरह की शक्तियां उपलब्ध हैं. इन सबके बावजूद भी जनता को पानी न दे पाना मुख्यमंत्री की निजी विफलता है.
पूर्ण राज्य की मांग संसद में उठाए AAP सांसद
मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर विजेंदर गुप्ता ने कहा कि सरकार इसे लेकर वाकई गंभीर है तो वह इसे संसद में उठाए. संसद ही इसके लिए सही मंच है, लेकिन केजरीवाल सरकार इसे राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल कर रही है. यह मांग तीन साल चार महीने बाद उठाकर मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की विफलताओं और कुशासन को छुपाने की राजनीतिक नींव रख दी है.
उन्होंने कहा कि वह इसे बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं ताकि जनता का ध्यान भटका सकें. शेष पौने दो साल के कार्यकाल में केजरीवाल इस पर झूठ की बड़ी इमारत खड़ी करने जा रहे हैं. विधानसभा में इस आशय का प्रस्ताव रख उन्होंने झूठ की आधारशिला रख दी है. शेष समय उन्हें केंद्र सरकार और उपराज्यपाल को कोसने में ही बिताना है.
विपक्षी विधायकों को मार्शल ने किया बाहर
इससे पहले विपक्षी नेता विजेंदर तथा अन्य विपक्षी विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा तथा जगदीश प्रधान विधानसभा से मार्शलों द्वारा बाहर निकाले जाने से नाराज इन विधायकों ने विरोधस्वरुप मुख्यमंत्री के कार्यालय के बाहर धरना दिया. उनकी मांग थी 'केजरीवाल, दिल्ली को पानी दो और जन लोकपाल बिल लाओ, नहीं तो कुर्सी छोड़ो'. साथ ही उन्होंने हाथों में प्ले कार्ड ले रखा था, जिन पर लिखा था. 'ये कैसी सरकार, विधानसभा से मुख्यमंत्री गायब, घरों से पानी, बिजली गायब, जनलोकपाल की फाइल गायब.'
सोमवार को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के नेता गुप्ता ने विधानसभा में उनके द्वारा नियम-54 के अंतर्गत दिल्ली जल बोर्ड पर मुख्यमंत्री से वक्तव्य की मांग की. उन्होंने मुख्यमंत्री से विधानसभा में दिल्ली में पानी की भारी कमी, दूषित पानी की सप्लाई और जल बोर्ड में भारी भ्रष्टाचार तथा जल बोर्ड के विकास कार्य ठप्प होने से उत्पन्न हुई स्थिति पर विस्तृत जानकारी देने की मांग की जिसे स्पीकर ने इसे अस्वीकार कर दिया.
दूसरी ओर, मनजिंदर सिंह सिरसा ने जन लोकपाल बिल पर सरकार की निष्क्रियता से उत्पन्न स्थिति पर काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की. इस पर स्पीकर ने सिरसा को आश्वासन दिलाया कि जन लोकपाल बिल पर उन्हें प्रश्न-उत्तर के बाद बोलने का मोका दिया जाएगा, लेकिन विपक्ष के सदस्यों के बार-बार मांग करने पर भी उन्हें नहीं बोलने दिया गया. जिसके बाद विपक्षी सदस्य सदन से वॉक आउट कर गए.
जनलोकपाल बिल पर सरकार ने किया गुमराह
मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्पीकर को याद दिलाया कि उन्होंने प्रश्नकाल के बाद उन्हें बोलने का मौका देने का वायदा किया था, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी. ज्यादा जोर देने पर विजेंदर गुप्ता और मनजिंदर सिरसा को मार्शलों द्वारा सदन से बाहर करवा दिया गया बाद में जगदीश प्रधान भी बाहर आ गए.
विपक्ष के नेता विजेंदर गुप्ता ने भी जनलोकपाल बिल की फाइल तुरंत सार्वजनिक किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार इस पर सदन और जनता दोनों को गुमराह कर रही है. सरकार झूठ बोलने की गुनहगार है. सरकार ने सदन को यह कहकर गुमराह किया कि फाइल केंद्र सरकार के पास पड़ी है और वे जनलोकपाल बिल को लाने में रोड़ा अटका रही है, जबकि तथ्य यह है कि फाइल 14 सितंबर, 2017 से दिल्ली सरकार के पास थी और सरकार गुमराह कर रही थी.