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दिवाली के बाद दम घोंटने लगी दिल्ली की हवा, 16 गुणा ज्यादा हुआ प्रदूषण

दिल्ली में तमाम कोशिशों के बावजूद हवा में जहर यानी वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित सीमा से 16 गुणा बढ़ गया. दिवाली के पटाखों से देश की राजधानी फिर जहरीले धुएं से भर गई. सोमवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 306 रिकॉर्ड किया गया.

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटोः PTI) प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटोः PTI)
दीपू राय
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 9:30 PM IST

  • कुछ इलाकों में AQI अधिकतम 999 के स्तर पर पहुंचा
  • हवा में खतरनाक पॉल्यूटेंट में भी हुई तेज बढ़ोत्तरी

दिल्ली में तमाम कोशिशों के बावजूद हवा में जहर यानी वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित सीमा से 16 गुणा बढ़ गया. दिवाली के पटाखों से देश की राजधानी फिर जहरीले धुएं से भर गई. सोमवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 306 रिकॉर्ड किया गया.

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दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का व्यापक डेटा दिखाता है कि दिवाली पर सबसे खतरनाक पॉल्यूटेंट (PM2.5) के स्तर में कैसे तेज बढ़ोत्तरी हुई. दिल्ली में जागरूकता की मुहिम के बावजूद लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े और आतिशबाजी की. 

रविवार को रात 11 बजे के आसपास आरके पुरम, पटपड़गंज, सत्यवती कॉलेज, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अधिकतम 999 के स्तर पर पहुंच गया था, जिसके बाद इसकी रीडिंग करना ही फिलहाल मुमकिन नहीं है. AQI से हवा में मौजूद PM2.5, PM10, सल्फर डाई ऑक्साइड और अन्य पॉल्यूटेंट पार्टिकल्स के कंसन्ट्रेशन लेवल का पता चलता है.

पुराना डेटा बताता है कि दिल्ली की हवा पूरे साल ही प्रदूषित रहती है. लेकिन आसपास के राज्यों में पराली जलाने और दिवाली जैसे त्योहारों पर पटाखे फोड़ने से दिल्ली की हवा में जहर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है. इससे दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर एक तरह से गैस चैम्बर में बदल जाता है.

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धनंजय घई और रेणुका साने जैसे वैज्ञानिकों ने पटाखों से दिल्ली की हवा पर पड़ने वाले बुरे असर का 2012-17 में अध्ययन किया. उनकी ये स्टडी बताती है कि दिवाली से वायु प्रदूषण में छोटी लेकिन आंकड़ों के लिहाज से अहम बढ़ोत्तरी होती है.

2018 में घई और साने ने रिपोर्ट किया- ‘दो दिन के अंतराल में दीवाली से PM2.5 पार्टिकुलेट कंसन्ट्रेशन में 40 μg/m3 की बढ़ोत्तरी हुई. हालांकि ये आंकड़ा अपने आप में छोटा लगता है, लेकिन अगर इस दौरान पहले से ही हवा की खराब क्वालिटी को देखा जाए तो ये बड़ा है.’

सुप्रीम कोर्ट के पटाखों पर बैन के आदेश, दिल्ली सरकार की अपील और जागरूकता की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली के लोगों ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. पटाखों को बड़े पैमाने पर फोड़ने से 2.5 माइक्रोन्स से कम के अल्ट्रा फाइन पार्टिकल दिल्ली की हवा में भर दिए. इससे सांस लेना, खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों को मुश्किल हो गया.   

दिल्ली में वायु प्रदूषण को काबू में रखने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 4 से 15 नवंबर तक वाहनों के लिए ‘ऑड-इवन’ फॉर्मूला लागू करने का ऐलान पहले से ही कर रखा है.

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