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DDCA: दिल्ली सरकार द्वारा गठित सुब्रह्मण्यम जांच आयोग को केंद्र ने बताया गैरकानूनी

दिल्ली सरकार ने डीडीसीए में कथित घोटाले की जांच के लिए जो आयोग बनाया था, केंद्र ने उसे असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दे दिया है. अब दिल्ली और केंद्र सरकार में फिर तकरार बढ़ना तय है.

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
विकास वशिष्ठ
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST

DDCA विवाद को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार एक बार फिर आमने-सामने हैं. (DDCA) में कथित घोटाले की जांच के लिए दिल्ली सरकार के बनाए गोपाल सुब्रह्मण्यम आयोग को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी करार दे दिया. उपराज्यपाल सचिवालय की ओर से दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिखकर इस बारे में सूचना दी गई है.

कानून लिखा है खत में इतना...
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को जो खत भेजा है, उसमें कई कानूनों और केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए लिखा है कि आयोग का गठन असंवैधानिक और गैरकानूनी है. क्योंकि दिल्ली में चुनी हुई सरकार न तो केंद्र की है और न राज्य की. इसलिए इसे कमीशंस ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत जांच आयोग बनाने का कोई अधिकार नहीं है.

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गृह मंत्रालय ने कहा- फैसले की तामील हो
इसी चिट्ठी में कानूनों का हवाला देकर कहा गया है कि 'गृह मंत्रालय दिल्ली सरकार की ओर से गठित जांच आयोग असंवैधानिक है. इसलिए अब इस आयोग का कोई कानूनी प्रभाव नहीं बचता. संबंधित मंत्रिपरिषद को सलाह दी जाती है कि गृह मंत्रालय के इस फैसले के मुताबिक आगे की कार्यवाही करे.'

कोलकाता से लौटकर CM देंगे जवाब
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि इस चिट्ठी का जवाब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोलकाता से लौटकर देंगे. वह बंगाल ग्लोबल समिट में हिस्सा लेने के लिए वहां गए हुए हैं. दिलचस्प है कि इस मंच पर केजरीवाल और जेटली साथ-साथ भी दिखे. सूत्रों ने कहा कि 'गृह मंत्रालय ने इसे रद्द नहीं किया है. आयोग अपना काम जारी रखेगा.'

दिल्ली सरकार के पास क्या आधार
इस चिट्ठी की कॉपी आज तक के पास है और इसमें कहीं भी null and void शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यानी गृह मंत्रालय ने इस आयोग को अंसवैधानिक तो बता दिया है, लेकिन रद्द नहीं किया. दिल्ली सरकार इसी को आधार बनाकर आगे की जांच जारी रखने का तर्क दे सकती है.

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जंग ने लिखी थी केंद्र को चिट्ठी
इससे पहले 25 दिसंबर को जंग ने इस एक सदस्यीय जांच आयोग को गैरकानूनी बताते हुए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार ने यह आयोग बनाने के लिए उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की सहमति नहीं ली है. इसलिए यह आयोग गैरकानूनी है.

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