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Coronavirus: चीन से लौटे 200 भारतीयों को 17 दिन बाद ITBP कैंप से मिली छुट्टी

वुहान से एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाए गए भारतीय नागरिकों में से 200 लोगों को छावला स्थित आईटीबीपी कैंप से जाने की इजाजत मिल गई है. लोगों को मेडिकल टीम ने हेल्थ सर्टिफिकेट दिया है और कहा है कि अब वे अपने घर जा सकते हैं.

वुहान के लोगों को छावला के ITBP कैंप में रखा गया था (तस्वीर-PTI) वुहान के लोगों को छावला के ITBP कैंप में रखा गया था (तस्वीर-PTI)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

  • कैंप में 1 फरवरी से रह रहे थे लोग
  • टेस्ट में सभी लोग पाए गए नेगेटिव
  • कैंप में रह रहे लोगों ने बताया अनुभव
भारत कोरोना वायरस के प्रकोप से सुरक्षित है. दिल्ली के छावला स्थित आईटीबीपी कैंप में आधे से ज्यादा एहतियातन रोके गए लोगों को कैंप से जाने के लिए कह दिया गया है. मेडिकल टीम ने रोके गए लोगों को एक हेल्थ सर्टिफिकेट भी दिया और कहा कि अब आप जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

कोरोना वायरस से जूझ रहे चीन के वुहान शहर से भारत सरकार ने 650 भारतीय और 7 मालदीव के लिए नागरिकों को एयलिफ्ट किया था. उनमें से 409 लोगों के लिए छावला में कैंप तैयार किया गया था, जहां उनकी निगरानी हो रही थी. सोमवार को लगभग 200 लोगों को ठीक पाया गया और उन्हें कहा गया कि वे अब जा सकते हैं. कैंप से डिस्चार्ज लोगों में कई छात्र, योग प्रशिक्षक, बिजनेसमैन और प्रोफेसर भी शामिल हैं.

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1 फरवरी जिन लोगों को पहली फ्लाइट से वुहान से भारत लाया गया था उनमें इनाया भंडारी भी शामिल थीं. इनाया की उम्र केवल 2 साल की है. वुहान में इनाया की माता नूतन भंडारी और पिता धीरेंद्र योग शिक्षक हैं. अपने अनुभवों को साझा करते हुए नूतन ने कहा, 'हम कोरोना वायरस के बारे में दिसंबर 2019 से ही सुन रहे थे. तब तक यह इतना खतरनाक नहीं था. लेकिन जनवरी के अंत तक मामला गंभीर हो गया था. हमने भारतीय एंबेसी से संपर्क किया. उनका रवैया बेहद सकारात्मक रहा, उन्होंने मदद भी की.'

उन्होंने कहा, 'भारतीय टीम मददगार रही. चीन के भी अधिकारियों ने हमें स्थिति के बारे में जानकारी दी.' पूरे परिवार को वुहान से भारत लाया गया. 17 दिनों तक आईटीबीपी के छावला कैंप में निगरानी शिविर में रखा गया. अब उन्हें घर जाने के लिए हरी झंडी मिल गई है.

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नूतन ने कहा, 'एक छोटी बच्ची की वजह से हालात कठिन थे. 23 जनवरी के बाद से जैसे ही चीन का नया साल शुरू हुआ, सब कुछ बंद हो रहा था. मेट्रो बंद, एयरपोर्ट बंद थीं. हालांकि छोटी दुकानें खुली रहीं, जहां से खाना मिल सकता था.'

फिर वुहान लौटेंगे लोग

उत्तराखंड की एक अन्य योग शिक्षिका अनामिका केवल तीन महीने के लिए वुहान में थीं. उनकी क्लासेज की शुरुआत ही होने वाली थी जब उन्हें अपने बैग पैक करने को बोला गया. उन्होंने कहा, 'मैं कम वक्त के लिए वहां रही. लेकिन में जल्द ही फिर से काम पर लौटूंगी. वहां यह प्रतिस्पर्धा का काम है. मैं जानती हूं कि ऑनलाइन क्लासेज हैं, लेकिन मैं मानती हूं कि योग इंसान के लिए बेहतर ख्याल है. मैं वहां जाने से पहले यहां कुछ दिन और रहूंगी.'

कोरोना वायरस नेगेटिव पाए जाने के बाद अपने घरों को लौट रहे लोग (तस्वीर-PTI)

एक अन्य दंपति डॉक्टर श्वेता और डॉक्टर अतुल ने कहा कि हम वुहान में मेडिसिन पढ़ाते हैं. हमें खुशी है कि हम यहां हैं. लेकिन हमने यह नहीं सोचा था कि परिस्थितियां उतनी खतरनाक होंगी, जितनी सोशल मीडिया पर थीं. बहुत से वीडियोज हैं जिनमें कहा जा रहा है कि लोगों को मारा जा रहा है. यह सच नहीं है. चीन की सरकार हर स्थिति के बारे में हमें बता रही थी.

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डॉ अतुल ने कहा कि  हम भारत सरकार के आभारी हैं, जो हमें वुहान से लेकर आई. लेकिन हमारी आजीविका वहीं से चल रही है, इसलिए जब भी चीजें सुलझेंगी, हम वापस लौट जाएंगे.

कश्मीरी छात्रों ने की सरकार की तारीफ

कश्मीरी छात्रों का भी एक समूह आईटीबीपी कैंप छोड़ने की तैयारी में है. उनमें से एक 20 वर्षीय नौशीन नबी हुबेई में मेडिकल स्टूडेंट हैं. वे बड़गाम में रही हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं भारतीय होने में गर्व महसूस कर रही हूं. पाकिस्तान, सूडान और इजिप्ट के लिए लोगों को उनकी सरकारों ने कोई मदद नहीं की. उन्हें छोड़ दिया गया. वहीं भारतीयों को सबसे पहले निकाला गया. एयर इंडिया ने हमें उस स्थिति से बाहर निकाला. हमारा आईटीबीपी कैंप में ख्याल रखा गया.'

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नौशीन ने कहा कि वे अपने परिजनों से फोन पर बातचीत कर रही थीं. अन्य छात्रों की तरह हम स्काइप या चैट नहीं कर सकते. हम फोन पर परिजनों से बात कर रहे थे. लेकिन मुझे खुशी है कि हम घर वापस जा रहे हैं.

वुहान में अपने वक्त को याद करते हुए नौशीन ने कहा कि हाईवे को बंद कर दिया गया था. रास्तों में पत्थर और बैग रखे गए थे. किसी भी तरह की गतिविधि को रोक दी गई थी. नौशीन उन 32 लोगों में शामिल थीं, जो अब अपने घर जा सकती हैं. मेडिकल टेस्ट में उनकी हालत ठीक पाई गई है. तीन बार उनका परीक्षण किया गया. रिपोर्ट्स नेगेटिव मिली.

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'बहुत भयावह थे चीन में हालात'

कश्मीर के एक अन्य छात्र ने कहा, 'चीन के हमारे दोस्तों ने बताया कि कैसे परिस्थितियां कैंपस के बाहर थीं. फिर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बंद की घोषणा की. हमें कहीं जाने की इजाजत नहीं मिली. मेस हमारी वजह से खोले गए थे. हमारे रूम के बाहर खाना छोड़ दिया जाता था. यह भयावह था.'

आईटीबीपी कैंप के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर एपी जोशी ने कहा कि हमारे लिए यह असाइनमेंट टफ था. हमें लोगों के लिए कैंप को तैयार करने के लिए 2 दिन मिले थे. यहां कोई इलेक्ट्रीसिटी नहीं थी, बिल्डिंग भी पूरी तरह से तैयार नहीं थी. लेकिन चीजें बेहतर होती गईं.'

परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने आईटीबीपी कैंप में रह रहे लोगों से मुलाकात भी की थी.

गुलाब देकर किया जा रहा विदा

जो लोग कैंप से बाहर जा रहे हैं उन्हें स्टाफ गुलाब और कैलेंडर दे रहे हैं. कोरोना वायरस इतने भारतीयों को विदेश में एक साथ करीब ला दिया. कैंप में रहने वाले लोगों ने वादा किया वुहान लौटने पर एक-दूसरे से मिलते रहेंगे.

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