
आर्थिक संकट से जूझ रही नॉर्थ एमसीडी अपने पांच अस्पताल और एक मेडिकल कॉलेज केंद्र सरकार को देना चाहती है. इस बाबत एक प्रस्ताव नॉर्थ एमसीडी स्थायी समिति में कमिश्नर मधुप व्यास लेकर आए. हालांकि इस प्रस्ताव को बुधवार को हुई स्थायी समिति में मंजूरी नहीं मिली. ये प्रस्ताव अगली बैठक के लिए सुरक्षित रख लिया गया है.
कमिश्नर मधुप व्यास के प्रस्ताव के मुताबिक करीब 1000 बेड वाले हिंदूराव अस्पताल, 1155 बेड वाले राजनबाबू टीबी अस्पताल, 450 बेड वाले कस्तूरबा अस्पताल, 97 बेड वाले गिरधारी लाल अस्पताल और 274 बेड वाले एमवीआईडी अस्पताल के अलावा बालकराम अस्पताल को केंद्र सरकार को सौंप देना चाहिए.
कमिश्नर के मुताबिक नॉर्थ एमसीडी की माली हालत बेहद खराब है. वहीं निगम के बंटवारे के बाद एमसीडी की स्वास्थ्य सेवाओं का करीब 60 फीसदी हिस्सा नॉर्थ एमसीडी के पास आ गया है और निगम बजट का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रहा है
कमिश्नर ने प्रस्ताव में बताया कि नॉर्थ एमसीडी के अस्पतालों में डॉक्टर और कर्मचारी मिलाकर करीब 6 हज़ार लोग काम करते हैं, जिनकी सैलरी पर काफी ज्यादा खर्च होता है. वहीं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद ये खर्चा कई गुना बढ़ गया है. नॉर्थ एमसीडी की माली हालत खराब होने के चलते अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों को वक़्त पर सैलरी नहीं मिल पा रही है तो वहीं निगम के अन्य विभागों में काम करने वालों को भी वक़्त पर सैलरी देने में परेशानी आ रही है. इसलिए ये प्रस्ताव स्थायी समिति के सामने पेश किया गया है.
कमिश्नर के मुताबिक अस्पताल के स्टाफ पर होने वाले खर्चे साल दर साल बढ़ रहे हैं. साल 2016-17 में नॉर्थ एमसीडी ने अस्पताल के स्टाफ पर करीब 42493 लाख रुपये खर्च हुए जो साल 2015-16 के मुकाबले 3362 लाख ज्यादा है. स्थायी समिति में चर्चा के दौरान सदस्यों ने कहा कि उन्होंने प्रस्ताव का अध्ययन नहीं किया है. इसलिए इसको अभी पास नहीं किया जाना चाहिए. ज्यादातर सदस्यों ने कहा कि वो इसको स्टडी करने के बाद ही इसपर अपनी राय रख पाएंगे, जिसे देखते हुए स्थायी समिति अध्यक्ष तिलक राज कटारिया ने इस प्रस्ताव को अगली बैठक तक के लिए सुरक्षित रख लिया है.