
दिल्ली सरकार शहर में एक बार फिर से ऑड-इवन योजना लागू करने जा रही है. इस बार 15 से 30 अप्रैल तक ऑड-इवन लागू रहेगा. दिल्ली में ऐसा दूसरी बार होने जा रहा है लेकिन इस बार गर्मियों को देखते हुए चुनौती ज्यादा है. हालांकि सरकार पिछली बार की कमियों को ध्यान में रखकर इस बार ज्यादा सतर्क नजर आ रही है.
इस बार नया क्या?
ऑड तारीख वाले दिन सिर्फ वो गाड़ियां चलेंगी जिनका आखिरी नंबर ऑड होगा और इवन वाले दिन सिर्फ वो गाड़ियां ही चलेंगी जिसका आखिरी नंबर इवन होगा. इसके इलावा ऑड-इवन स्कीम में कैटेगरी भी बनाई गई है. इस बार दो दर्जन से ज्यादा कैटेगरीज के ड्राइवर्स और वाहनों को छूट दी गई है जिसकी वजह से ट्रैफिक पुलिस को नियम का उल्लंघन करने वालों की पहचान करने में खासी मशक्कत करनी होगी. हालांकि योजना को लागू करने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने तैयारी पूरी कर ली है.
दिल्ली में ऑड-इवन के दौरान स्टार्ट अप ने की मुफ्त यात्रा, बोनस की पेशकश
पुलिस होगी सख्त, नियम तोड़ा तो लेगी जुर्माना
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि पहली बार पुलिस ने चालान कम काटे और लोगों को जागरुक भी किया था लेकिन इस बार पुलिस का काम सिर्फ चालान काटना होगा. यानी अगर आप ऑड-इवन के नियम को नहीं मानने वाले हैं, तो जेब में अलग से 2 हजार कैश लेकर चलें.
पुलिस ने कर ली है प्लानिंग
आमतौर पर दिल्ली में हर रोज लगभग 25,000 वाहनों का चालान किया जाता है. ऑड-इवन लागू होने के बाद यह संख्या और बढ़ जाएगी. पुलिस के सामने समस्या ये है कि पीक आवर्स में अगर व्यस्त रोड पर कारों को रोक दिया गया तो लंबा ट्रैफिक जाम लग सकता है. इससे निपटने के लिए विशेष प्लानिंग की गई है. सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स नियम तोड़ने वालों को समझाएंगे, लेकिन उन्हें रोड पर कार रोकने या फिर चालान करने का अधिकार नहीं होगा.
गर्मी के चलते चुनौती बड़ी?
पिछली बार की तरह इस बार भी योजना को 15-30 अप्रैल तक 15 दिनों के लिए लागू किया जा रहा है. पूरे उत्तर भारत के साथ-साथ दिल्ली भी बढ़ती गर्मी की चपेट में है और ऐसे में ऑड-इवन लागू करना लोगों के लिए कितना सुविधाजनक या कितना तंग करने वाला होगा, ये तो वक्त ही बताएगा. पिछली बार ऑड-इवन 1-15 जनवरी के बीच लागू किया गया था और सर्दियों की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. लेकिन झुलसाने वाली गर्मी में लोगों की चिंता इस बात को लेकर बढ़ गई है कि वो सार्वजनिक परिवहनों से सफर कैसे करेंगे. पिछले बार ऑड-इवन के दौरान स्कूलों की छुट्टी थी. लेकिन इस बार स्कूल भी चालू हैं और मौसम भी गर्मी का है. ऐसे में सरकार के सामने चुनौती इस बात की है कि ऑड-इवन के दूसरे चरण में लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो.
महिलाओं को इस बार भी छूट लेकिन...
योजना के दूसरे चरण में भी महिलाओं को छूट दी जा रही है लेकिन शर्त ये है कि उनके साथ गाड़ी में कोई पुरुष नहीं होना चाहिए.
पैरेंट्स के सामने बड़ा संकट
दिल्ली सरकार ऑड-इवन के दूसरे चरण के लिए पूरी तरह तैयार है लेकिन स्कूली बच्चों के माता-पिता गर्मी के मौसम में इस योजना की वजह से मुश्किलों में घिरे नजर आ रहे हैं. अभिभावकों को चिंता इस बात की है कि स्कूल की छुट्टी के वक्त बच्चों को घर वापस कैसे लाया जाए. हालांकि दिल्ली सरकार ऐसे अभिभावकों को कार-पूल करने की सलाह दे रही है. स्कूल एसोसिएशन भी अभिभावकों की इस दुविधा को लेकर दिल्ली सरकार से किसी सामाधान की उम्मीद कर रहे हैं.
डीटीसी ने भी खींच लिए हाथ, प्राइवेट स्कूलों को बसें देने से इनकार
डीटीसी ने प्राइवेट स्कूलों से कहा है कि वो ऑड-इवन स्कीम के दौरान बसें मुहैया नहीं करा पाएगी. कई प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों को बच्चों को स्कूल छोड़ने और घर ले जाने के लिए 15-30 अप्रैल तक खुद इंतजाम करने के लिए सर्कुलर जारी किया है. इसके चलते अभिभावक भी मुश्किल में पड़ गए हैं.
जनता से सहयोग की अपील
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट के अध्यक्ष आर. सी. जैन कहते हैं, 'हमारी मीटिंग हुई थी जिसमें प्रिंसिपल भी इस बात का जिक्र कर रहे थे कि अभिभावक उन्हें अप्रोच कर रहे हैं. सरकार को इसका भी समाधान निकालना चाहिए.' वहीं दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय का कहना है, '85 फीसदी महिलाएं बच्चों को लेने जाती है और ये योजना 90 फीसदी जनता की सहूलियत के लिए बनाया गया है. अगर 10 फीसदी लोग परेशान हो रहे हैं तो उनसे हमारी अपील है कि वो भी सहयोग करें. कार पुलिंग कर सकते हैं. पड़ोसी की मदद ले सकते हैं.
दुनिया के इन शहरों में भी लागू हुआ ये फॉर्मूला
ऑड-इवन की शुरुआत सबसे पहले 2008 में बीजिंग में समर ओलंपिक्स से पहले हुई थी. शुरुआत में इसे अस्थायी तौर पर लागू किया गया था लेकिन इसका इतना असर हुआ कि सरकार ने इसे स्थाई तौर पर लागू करने का फैसला कर लिया. दरअसल ऑड-इवन को अस्थाई तौर पर लागू किए जाने के दौरान पर्यावरण में 40 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी. इसी तरह के नियम पेरिस, लंदन, मैक्सिको सिटी, साओ पाउलो और बोगोटा जैसे शहरों में जाम और प्रदूषण से निपटने के लिए लागू किए गए.