
नोटबंदी के एक महीने पूरे होने के बावजूद इसकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. इस फैसले का सबसे बड़ा असर हीरा कारोबार पर पड़ा है. हीरे के कारोबार के लिए मशहूर सूरत की चमक भी नोटबंदी से फीकी पड़ गई है.
नोटबंदी से छोटे कारोबारी काफी परेशान है, सूरत के वराछा इलाके में हीरा तराशने का काम करने वाले विजय पटेल के कारखाने में 100 लोगों से ज्यादा काम करते है. लेकिन आधे से अधिक लोग बैंक की लाइन में लगे होने के कारण कारखाने में ही नहीं आते है, विजय कहते है कि दिवाली की छुट्टियों के बाद कारखाना खुले उससे पहले ही सरकार ने नोटबंदी का फैसला कर दिया. नोटबंदी के फैसले का विजयभाई सही मानते है लेकिन अभी तक वह कैशलेस सिस्टम से नहीं जुड़ पाए है.
सूरत के अन्य कारोबारियों का भी यही हाल है. हीरा कारोबार में अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे होते है जिनका ज्यादातर कारोबार नगद के रूप में ही होता है. अधिकतर मजदूर एक दिन चैक बैंक में जमा करते है और दूसरे दिन उसका कैश कराने जाते है. जिसके कारण काफी लोगों को काफी परेशानी हो रही है.
गौरतलब है कि सूरत का हीरा कारोबार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीबन छह लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराते है. सूरत के बाजार में हीरा कटिंग और पालिशिंग का काम होता है. 93 प्रतिशत का कारोबार आयात पर और 7 प्रतिशत कारोबार लोकल मार्किट में होता है. करीबन 250 लाख करोड़ के इस कारोबार में 35 से 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कारोबार पर पड़ रहे असर से दक्षिण गुजरात चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर व्यापारियों को डिजिटिलाइजेशन की तरफ मुड़ने की अपील की जा रही है.