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हरियाणाः पलवल में 10 दलित परिवारों ने छोड़ा घर, 2 माह पहले हुआ था जातीय संघर्ष!

हरियाणा के पलवल इलाके के फुलवारी गांव में दलित और गुर्जर के बीच संघर्ष के बाद पैदा हुआ तनाव लगातार गहराता जा रहा है. दो महीने का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक न हालात सामान्य हुए हैं और न ही लोगों के भीतर से खौफ खत्म हुआ है. बताया जा रहा है कि इस बीच करीब 10 दलित परिवार गांव छोड़कर भाग चुके हैं.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
राम कृष्ण
  • पलवल,
  • 09 जून 2018,
  • अपडेटेड 4:29 PM IST

हरियाणा के पलवल इलाके के फुलवारी गांव में दलित और गुर्जर के बीच संघर्ष के बाद पैदा हुआ तनाव लगातार गहराता जा रहा है. दो महीने का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक न हालात सामान्य हुए हैं और न ही लोगों के भीतर से खौफ खत्म हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दलितों के 10 परिवार गांव छोड़कर भाग चुके हैं.

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दरअसल, दो महीने पहले फुलवारी गांव में एक 21 वर्षीय दलित छात्र की कथित तौर पर दो गुर्जरों ने पिटाई कर दी थी. आरोप है कि दलित छात्र ने उनके घर का काम करने से मना कर दिया था, जिसके बाद उसकी पिटाई की गई थी. इसके बाद दोनों समुदायों के बीच संघर्ष देखने को मिला था.

इस मामले को लेकर एफआईआर भी दर्ज की गई थीं. एक एफआईआर दलित समुदाय की ओर से दर्ज कराई गई थी, जबकि दूसरी गुर्जर समुदाय की ओर से. एफआईआर में एक दलित ने गुर्जर समुदाय के लोगों पर हिंसा करने और जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है. वहीं, गुर्जर समुदाय के एक सदस्य की ओर दी गई शिकायत में 15 दलितों द्वारा हिंसा करने का आरोप लगाया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस ने गुर्जर समुदाय के लोगों के हवाले से बताया कि यह हिंसा उस समय की गई, जब पिछले सप्ताह दोनों समुदायों के लोग समझौते को लेकर मंदिर में एकजुट हुए थे. पलवल पुलिस स्टेशन के SHO इंस्पेक्टर देवेंद्र ने बताया कि हमें दोनों समुदाय की ओर से शिकायत मिली है. फिलहाल इन घटनाओं की जांच की जा रही है. अभी तक इन मामलों में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.

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वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से ये घटनाएं हुई हैं, तब से इलाके में भय का माहौल बन गया है. इसके चलते दलित समुदाय के लोग इलाके से पलायन भी कर रहे हैं. पीड़ित दलित छात्र के पिता ने दावा किया है कि दलित समुदाय के करीब 10 परिवारों ने गांव छोड़ दिया है और अपने रिश्तेदारों के यहां ठहरे हुए हैं. हमको नहीं लगता है कि अब यहां रह पाएंगे. लिहाजा हम लोगों को अपनी जमीनों को बेचना पड़ेगा और कहीं दूसरी जगह जाकर बसना पड़ेगा.

इस मामले को लेकर 21 अप्रैल को पहली एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया कि यह घटना उस समय हुई, जब दलित छात्र उस नर्सिंग होम जा रहा था, जहां उसकी बहन भर्ती थी. उसने बताया, 'मेरे पिता ने पांच हजार रुपये लेकर आने को कहा था. मैंने एक पड़ोसी की मोटरसाइकिल मांगी और हॉस्पिटल को निकल गया.

इस दौरान रास्ते में उसको गुज्जर समुदाय का एक शख्स मिला और दलित छात्र को अपने घर में काम करने को कहा.' छात्र ने बताया, 'इसके बाद मैंने उस शख्स से कहा कि मेरी बहन अस्पताल में भर्ती है. लिहाजा मुझे जाने दो, लेकिन वो नहीं माना और मारपीट करने लगा. उसका भाई डंडा लेकर आया और मेरी पिटाई कर दी.'

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