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Exclusive: कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने वालों में 70 फीसदी लोकल, सफाया करेगा 'ऑपरेशन चक्रव्यूह'

भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद को जवाब देने के लिए नई रणनीति बनाई है. ऑपरेशन चक्रव्यूह के नाम से सुरक्षा के तीन घेरे बनाकर आतंकियों की कोशिशों को नाकाम किया जाएगा

घाटी में महज 30 फीसदी हैं बाहरी आतंकी घाटी में महज 30 फीसदी हैं बाहरी आतंकी
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 9:44 PM IST

भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद को जवाब देने के लिए नई रणनीति बनाई है. ऑपरेशन चक्रव्यूह के नाम से सुरक्षा के तीन घेरे बनाकर आतंकियों की कोशिशों को नाकाम किया जाएगा. इस ऑपरेशन में सेना के साथ पैरा मिलिट्री सुरक्षा बल भी शामिल किए जाएंगे.

ऑपरेशन चक्रव्यूह में काफी सख्त होगा सुरक्षा घेरा
ऑपरेशन चक्रव्यूह में पहला सुरक्षा घेरा नियंत्रण रेखा (LoC) के दाएं तरफ होगा. दूसरे घेरे में दो स्तरीय सुरक्षा इतजाम होंगे. वहीं जम्मू कश्मीर के अंदरुनी इलाकों से नियंत्रण रेखा (LoC) की सुरक्षा के लिए घाटी में तीसरा घेरा बनाया जाएगा.

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नियंत्रण रेखा की दाहिने ओर आतंकियों को पकड़ने की कोशिश
सैन्य प्रशासन चाहता है कि आतंकियों को नियंत्रण रेखा (LoC) के दाहिनी ओर ही पकड़ लिया जाए. जानकारी के मुताबिक बीते तीन महीनों में घुसपैठ की 30 कोशिशों को कामयाबी से अंजाम दिया गया है. मौजूदा वक्त में 400 से 600 आतंकी ट्रेनिंग कैंपों में प्रशिक्षण ले रहे हैं. वहीं करीब 300 आतंकी लॉन्चिंग के लिए तैयार हैं.

पहले घेरे में ही सेंसर हो जाते हैं आतंकी
घुसपैठियों के कदम की पहली लाइन पर ही सेना ने सेंसर लाइट्स लगा रखे हैं. एलओसी पर आतंकियों की शिनाख्त करने में इसकी बड़ी भूमिका है. यह तकनीक हमेशा कामयाब नहीं होती, खासकर दक्षिणी कश्मीर के घने जंगलों वाले इलाकों में. इसलिए सुरक्षा का दूसरा घेरा बेहद जरूरी बताया जा रहा है.

यूएवी आतंकियों को ट्रैक करने में इस्तेमाल होता है. उसके बाद LORES और HHTI तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इन सबकी वजह से ही बीते छह महीनों में सेना से मुठभेड़ में 50 आतंकी एलओसी के दाहिने तरफ ढेर किए जा चुके हैं.

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दूसरे सुरक्षा घेरे में स्थानीय लोगों की निगरानी
दूसरा सुरक्षा घेरा आतंकियों के अंदर आ जाने और स्थानीय हैंडलर या आतंकियों से मुलाकात पर कार्रवाई के लिए तैयार किया जा रहा है. इन जगहों पर ही आतंकियों की आगे की योजना पर काम शुरू होता है. उन्हें रकम सहित बाकी मदद दी जाती है. इन इलाकों में घने जंगल मुश्किल पैदा करते हैं. ऐसी सूरत में सेना ने आतंकियों के संदिग्ध स्थानीय मददगारों पर निगाह रखने के लिए टेलीफोनिक मॉनीटरिंग की योजना बनाई है.

इन इलाकों में सेना की तैनाती भी बढ़ाई जा रही है. इन इलाकों में बीते छह महीनों में करीब 35 आतंकियों को सेना ने मुठभेड में ढेर किया है.

पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के साथ सेना की मदद बढ़ी
सेना ने कश्मीर घाटी में स्थानीय पुलिस और पैरा मिलिट्री बलों के साथ आतंकियों से जुड़ी सूचनाएं साझा करने की रफ्तार भी बढ़ाई है. आतंकियों की टीम इन इलाकों में बड़े हथियार और जरूरी रकम हासिल करते हैं. बीच के इस इलाके में बीते छह महीनों में 29 आतंकियों को मारा जा चुका है.

कश्मीर घाटी में ये इलाके हैं बेहद संवेदनशील
सुरक्षा के तीनों स्तर में बीच का यह इलाका सुरक्षा बलों के लिए बेहद अहम है. इनमें लोलब घाटी, राजवार जंगल (हफुर्दा), बंदीपुरा, काजीकुंड (हंदवाड़ा), राफियाबाद, नौगाम हैं. वहीं सबसे संवेदनशील इलाकों में कुलगाम, अनंतनाग, पुलवामा, लोलाब, केरेन औप तंगधार को चिन्हित किया गया है.

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आतंकियों को मिला है सुरक्षा बलों को निशाना बनाने का हुक्म
इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक आतंकी हाफिज सईद, सेयद सलाहुद्दीन और मौलाना मसूद अजहर ने अपने गुर्गों से सुरक्षा बलों को निशाना बनाने का हुक्म दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक लश्करे तैयबा के 10 आतंकी तंगधार और केरेन के रास्ते घुसने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत घुसने की कोशिशों पर सख्त निगरानी
ऊरी सेक्टर के उरी नाला के पास काले पठान ड्रेस में 5-6 आतंकियों को घुसपैठ की कोशिश करते हुए देखा गया है. वहीं दो आतंकी समूहों को माछिल के पास घुसने की कोशिश करते पाया गया है. रामपुर के करीब से 5 आतंकी घुसने की फिराक में हैं. वहीं ट्राल के कई इलाकों में स्थानीय हैंडलर और आतंकी के मददगारों के रूप में पाया गया है.

आतंकियों के पास नए मॉडल के कीमती फोन
सेना ने सरेंडर करने वाले आतंकियों और बाहर से उनकी मदद करने वाले संदिग्ध लोगों पर काफी करीब से निगरानी करनी तेज कर दी है. आतंकी मैट्रिक्स फोन का इस्तेमाल करते हैं. जैशे मोहम्मद के आतंकी दो फोन का इस्तेमाल करते हैं. वहीं लशकरे तैयबा के आतंकी एक फोन का.

सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं आतंकी
आतंकियों ने संचार के नए जरिए यानी कैलकूलेटर और वाय एसएमएस एप का बेधड़क इस्तेमाल भी कर रहे हैं. जांच एजेंसियों की सारी जानकारी निकालने में लगी है. आतंकियों ने 30 नौजवानों को सोशल मीडिया की टीम में शामिल किया है. वहीं 500 से ज्यादा लोग इन तरीकों से मिलने वाली सूचनाओं को फैलाने का काम कर रहे हैं. तस्वीरों को आपस में भेजने के लिए व्हाट्सएप का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है.

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घाटी में महज 30 फीसदी हैं बाहरी आतंकी
सेना की ओर से बताया गया है कि आतंकियों का काम भी ग्लैमराइज्ड करने की कोशिश की जा रही है. साथ ही कश्मीर में ही आतंकियों को प्रशिक्षण मुहैया कराने की योजना पर भी काम हो रहा है. पहले वह पाक अधिकृत कश्मीर में ट्रेनिंग कैंप चलाते थे. घाटी में मुश्किलें बढ़ाने वाले 70 फीसदी स्थानीय नौजवान होते हैं. वहीं 30 फीसदी बड़े आतंकी होते हैं.

नौजवानों को बरगलाने के लिए कैश का लालच
रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में नौजवानों को कहा जाता है कि उन्हें 500 रुपये मिलेंगे अगर वह हथियार छीन सकें या चला सकें. अगर वह ग्रेनेड चोरी कर उसका इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें एक हजार रुपये दिए जाएंगे. पत्थर फेंकने वालों को एक सौ से पांच सौ रुपये तक एक दिन का मिल जाता है. वहीं उनके नेताओं को हरेक दिन का पांच हजार रुपये तक दिए जाते हैं.

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