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नोटबंदी की वजह से नक्सलियों के 80 करोड़ बर्बाद

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक नकदी की समस्या से जूझ रहे नक्सली अब बैंक और डाकघरों की नकदी के साथ कैश गाड़ियां लूटने की योजना बना रहे है. लेकिन सरकार ने भी इस स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी कर रखी है जिससे उनकी यह मंशा पूरी न हो सके.

नोटबंदी ने तोड़ी नक्सलियों की कमर नोटबंदी ने तोड़ी नक्सलियों की कमर
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 03 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

बीते 8 नवंबर को हुए नोटबंदी के फैसले की वजह से झारखंड में माओवादियों समेत यहां कार्यरत सभी नक्सली संगठनों की कमर टूट गई है. खुफिया सूचनाओं के मुताबिक नक्सलियों के कम से कम 80 करोड़ रुपये तक नकदी केंद्र सरकार के इस निर्णय से बर्बाद हो गई हैं. झारखंड पुलिस के मुताबिक नोटबंदी के फैसले का राज्य में चल रहे नक्सलवाद के खात्मे पर जबर्दस्त प्रभाव पडा है.

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नक्सलियों का अर्थतंत्र टूटा, बजट भी गड़बड़ाया
खुफिया जानकारियों की माने तो नक्सलियों का लगभग पूरा का पूरा अर्थतंत्र ही बर्बाद हो गया है, सूचनाओं के मुताबिक झारखंड में नक्सलियों द्वारा सालाना वसूली जानेवाली रकम लगभग 140 करोड़ थी. जो पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षाबलों की कार्रवाई और विकास कार्यों के चलते घटकर लगभग सौ करोड़ रुपये तक रह गयी. ऐसे में एक वर्ष के खर्चे के लिए रखी गयी माओवादियों एवं अन्य नक्सली संगठनों की लगभग सौ करोड़ रुपये की नकदी खराब हो गयी. हालांकि इन सदस्यों एवं सहयोगियों की मदद के अलावे गरीब, किसानों तथा ग्रामीणों को डरा धमकाकर माओवादी एवं अन्य नक्सली ने लगभग बीस करोड़ रुपये तक के पुराने नोट को नए नोटों से बदलवाने में सफल हुए है.

बैंक और डाकघर है नक्सलियों के निशाने पर
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक नकदी की समस्या से जूझ रहे नक्सली अब बैंक और डाकघरों की नकदी के साथ कैश गाड़ियां लूटने की योजना बना रहे है. लेकिन सरकार ने भी इस स्थिति से निपटने की पूरी तैयारी कर रखी है जिससे उनकी यह मंशा पूरी न हो सके.

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नक्सलियों के खिलाफ मिली कामयाबी
झारखंड में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने बीते वर्ष जोरदार अभियान चलाया, इस दौरान कुल 1546 विशेष अभियानों में 37 नक्सलियों को मार गिराया जबकि इस दौरान 35 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. वहीं कैडर की समस्या से जूझ रहे नक्सली बच्चों के बाद अब गरीब ग्रामीणों को जबरन अपने गिरोह में शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. जिससे आम लोगों में उनके खिलाफ प्रतिक्रिया बढ़ रही है.

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