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स्कूल में किसान आत्महत्या पर कविता सुना रहा था 8 साल का मासूम, घर में पिता ने दी जान

तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले आठ साल के छात्र प्रशांत ने भी अपनी स्वरचित कविता का पाठ किया- "ए किसान राजा तू मत करना आत्महत्या." इस मासूम को भला क्या पता था कि जिस समय वह स्कूल में किसानों के दर्द को शब्दों में पिरोकर आत्महत्या नहीं करने का संदेश दे रहा है, लोगों की वाहवाही बटोर रहा है, ठीक उस समय उसी के पिता मल्हारी पटुले आत्महत्या का निर्णय ले चुके हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 29 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:51 PM IST

  • महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की घटना
  • तनाव में किसान ने जहर पीकर दी जान

महाराष्ट्र 27 फरवरी को मराठी राजभाषा दिवस मना रहा था. स्कूलों में इस मौके पर विशेष आयोजन किए गए थे. अहमदनगर जिले के भारजवाड़ी गांव के स्कूल में कविता पाठ का आयोजन था. तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले आठ साल के छात्र प्रशांत ने भी अपनी स्वरचित कविता का पाठ किया- "ए किसान राजा तू मत करना आत्महत्या."

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इस मासूम को भला क्या पता था कि जिस समय वह स्कूल में किसानों के दर्द को शब्दों में पिरोकर आत्महत्या नहीं करने का संदेश दे रहा है, लोगों की वाहवाही बटोर रहा है, ठीक उस समय उसी के पिता मल्हारी पटुले आत्महत्या का निर्णय ले चुके हैं. मासूम अपनी कविता सुनाने के बाद खुशी से चहकते हुए घर पहुंचा कि पिता को यह खबर दें, लेकिन पिता घर पर नहीं मिले. क्या पता था कि पिता और पुत्र की मुलाकात कभी होगी ही नहीं. मासूम प्रशांत अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया और जब घर लौटा तो भारी भीड़ जमा थी.

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किसानों को आत्महत्या नहीं करने का संदेश देने वाले मासूम प्रशांत को उसके पिता के आत्महत्या कर लेने की जानकारी दी गई. उन्होंने जहरीला पदार्थ पी लिया था. रिश्तेदारों के अनुसार प्रशांत ने पिता की परेशानी देख और समझकर ही शायद यह कविता लिखी हो. प्रशांत के 10 साल के बड़े भाई प्रमोद ने बताया कि वो पिता से परेशानी की वजह पूछता, लेकिन वे कभी उसे कुछ बताते नहीं थे. मल्हारी के पिता 70 साल के दशरथ पटुले ने कहा कि बेटी की शादी के लिए रिश्तेदारों से कर्ज लिया था. कर्ज के कारण वह तनाव में था.

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सुनाई थी यह कविता

'मेहनत करके बावजूद भी तेरे पीछे परेशानी का पहाड़,

ए किसान राजा तू मत करना आत्महत्या.

तेरे पास पैसे नहीं होते फिर भी तेरे बच्चों को स्कूल भेजता है तू,

कड़ी धूप में खून पसीना एक कर तू करता है खेती,

अरे किसान राजा तू मत करना आत्महत्या.

फसल आने के बाद भी नहीं मिलते तुझे वाजिब दाम,

खेत में काम कर तेरे हाथ में पड़ते हैं छाले,

अरे किसान राजा तू मत करना आत्महत्या.'

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प्रशांत की कविता सुन मौजूद लोगों की आंखें भर आईं. खूब तालियां बजीं और इसे सभी ने सराहा भी. भारजवाड़ी जिला परिषद प्राइमरी स्कूल के प्रिंसिपल लहू बोराटे ने कहा कि इंग्लैंड में रहने वाले लक्ष्मण खाड़े ने भी प्रशांत की कविता को खूब सराहा था.

(अहमदनगर से रोहित वाल्के का इनपुट)

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