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सुशील कुमार शिंदे ने कश्मीर हिंसा के लिए गृहमंत्रालय और बीजेपी को ठहराया जिम्मेदार

सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि बुरहान की मौत को पब्लिकली नहीं लाना चाहिए था. कांग्रेस राज में यानी हमने कसाब और अफजल गुरु को फांसी देने की बात काफी गुप्त रखी थी. ऐसे संवेदनशील मामले को समाज के सामने तुरंत लाना खतरनाक हो सकता है.

पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे
सना जैदी/पंकज खेळकर
  • पुणे,
  • 02 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 6:15 AM IST

पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को पुणे में मीडिया से बात करते हुए आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में भड़की हिंसा के लिए गृहमंत्रालय और बीजेपी नेताओं को जिम्मेदार ठहराया.

सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि बुरहान की मौत को पब्लिकली नहीं लाना चाहिए था. कांग्रेस राज में यानी हमने कसाब और अफजल गुरु को फांसी देने की बात काफी गुप्त रखी थी. ऐसे संवेदनशील मामले को समाज के सामने तुरंत लाना खतरनाक हो सकता है.

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संवेदनशील मामले को समाज के सामने लाना खतरनाक
सुशील कुमार शिंदे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'अफजल गुरु जैसा भारत की संसद पर हमला करने वाला, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई और राष्ट्रपति ने भी उस सजा को कायम रखा. ऐसे मामले में गृहमंत्रालय और राजनेताओं का पहला कर्तव्य होता है कि सेंसिटिव विषय को समाज के सामने तुरंत नहीं लाना चाहिए. बाद में समाज को पता चलता ही है कि उसे फांसी हो गई है. उसे पब्लिसिटी में लेकर आना खतरनाक हो सकता है.'

अफजल गुरु और कसाब की फांसी को रखा गुप्त
सुशील कुमार शिंदे ने यह भी कहा कि अफजल गुरु और कसाब की फांसी को गुप्त नहीं रखते तो शायद फांसी की तारीख पता चलते ही कोई कोर्ट में जाकर उस पर स्टे ला सकता था. उन्होंने कहा कि 'अफजल गुरु हो या कसाब, हमने इन दोनों के बारे में काफी सायलेंट भूमिका निभाई. कसाब को फांसी देने के बाद 7 बजे हमने इस बात को डिक्लेअर किया. अगर ऐसा नहीं करते तो कोई सुप्रीम कोर्ट जाता और स्टे ले सकता था.' शिंदे ने कहा 'वही अफजल गुरु के बारे में भी हो सकता था. वो तो भारत के कश्मीर का रहने वाला था. इसलिए मुझे सावधानी से रहना पड़ता था. उस वक्त हमने पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस को अलर्ट किया था. उस वक्त सिर्फ दो दिन ही पथराव और दंगें हुए बाद में कुछ नहीं हुआ.'

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शांति से रास्ता निकालना चाहिए
शिंदे ने कहा कि 'कश्मीर में चर्चा की आवश्यकता है. आलोचनाएं सहते हुए रास्ता निकालना जरुरी है. उस वक्त मैं खुद सीएम को लेकर लाल चौक गया था. ऐसी स्थिति में को-ऑर्डिनेशन जरुरी होता है. चर्चा की प्रक्रिया शुरू रखनी चाहिए. उस वक्त हम गिलानी से भी बात करते थे. उसे पब्लिकली नहीं किया. शांति से रास्ता निकालना चाहिए.'

सुशील कुमार शिंदे ने बातचीत शुरू करते हुए कहा के देश में पुणे का श्रमिक पत्रकार संघ सबसे पुराने पत्रकार संघ में से है इस से पिचहत्तर साल पूरे हुए हैं.

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