
15वें वित्त आयोग के नियमों और शर्तों (Terms of Reference) को लेकर जारी विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. खासकर दक्षिण भारत के राज्य इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं. बुधवार को आंध्र प्रदेश के वित्तमंत्री यनमाला रामकृष्णुडू ने मामले को लेकर एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि आज बीजेपी सत्ता में हैं और कल कोई दूसरी पार्टी सत्ता में होगी. हालांकि यह मायने नहीं रखता कि कौन सत्ता में हैं, लेकिन संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कतई नहीं किया जाना चाहिए.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक राज्य पर अपने अधिकारों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है. सभी पार्टियों को अपनी पॉलिटिक्स को अलग करके इस मसले पर एक साथ आवाज बुलंद करनी चाहिए. आंध्र प्रदेश के वित्तमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के नियमों और शर्तों को लेकर देशभर में चर्चा होनी चाहिए. अगर इसको ऐसे ही हू-ब-हू लागू किया जाता है, तो इससे प्रगतिशील राज्य बुरी तरह प्रभावित होंगे. उन्होंने वित्त आयोग के इन नियम और शर्तों को राज्यों के मूल वित्तीय ढांचे को नुकसाने पहुंचाने की बड़ी साजिश करार दिया.
रामकृष्णुडु ने कहा कि इससे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और कर्नाटक को एक लाख 14 हजार 62 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस बाबत हमने केंद्र सरकार से वित्त मंत्रियों के कॉन्क्लेव आयोजित करने की अपील की थी, लेकिन दुख की बात यह है कि मोदी सरकार की ओर से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया. केंद्र सरकार को राज्यों को उनके अधिकारों से किसी भी हालत में वंचित नहीं करना चाहिए.
इससे पहले पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू 15वें वित्त आयोग के नियमों और शर्तों का विरोध कर चुके हैं. नायडू ने कहा था कि अगर केंद्रीय कोष के वितरण के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाता है, तो उन प्रगतिशील राज्यों को भारी नुकसान होगा, जिन्होंने अपनी आबादी को नियंत्रित किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र को सहकारिता के संघीय ढांचे का सम्मान करना चाहिए. कई राज्यों की मांग है कि कोष का बंटवारा 1971 की जनगणना के अनुसार हो.
नायडू ने कहा था कि साल 2011 की जनगणना के आधार पर केंद्रीय कोष का वितरण करके आबादी नियंत्रण में आगे रहने वाले राज्यों को दंडित करना उचित नहीं होगा. हम इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम न्याय हासिल करने तक संघर्ष करेंगे. उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण में केरल सभी राज्यों से आगे है. आंध्र प्रदेश ने भी जनसंख्या नियंत्रण के लिए कदम उठाए हैं. अगर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2011 की जनसंख्या के हिसाब से किया जाएगा, तो दक्षिण भारत के राज्यों को सीटें गंवानी पड़ेंगी.
आंध्र प्रदेश के अलावा पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल और दिल्ली भी 15वें वित्त आयोग के नियमों और शर्तों के विरोध में हैं. इसकी मुखालफत करते हुए पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने इन छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से दर्ज कराए गए विरोध का स्वागत किया है. उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे राज्यों को भी 15वें वित्त आयोग के नियमों और शर्तों का विरोध करना चाहिए. इन राज्यों का तर्क है कि 2011 की जनगणना के आधार पर कोष के बंटवारे से उन राज्यों को फायदा होगा, जो अपने यहां बढ़ती आबादी को रोकने में असफल रहे हैं.