
अगस्ता वेस्टलैंड डील का बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल अब भारत की गिरफ्त में है. मिशेल को दुबई से भारत लाया जा चुका है, कोर्ट में पेशी के बाद उसे पांच दिन की सीबीआई कस्टडी में भेजा गया है. लेकिन अब भी लोगों के मन में एक सवाल है कि आखिर मिशेल को भारत लाने में किस प्रकार सफलता मिली. दरअसल, इस कामयाबी के पीछे एक सीक्रेट डील है जिसे दुबई में अंजाम दिया गया और अगस्ता डील का बिचौलिया भारतीय एजेंसियों के गिरफ्त में आ गया.
मंगलवार की रात को मिशेल को एक प्राइवेट जेट से दुबई से भारत लाया गया. जिस डील की बात सामने आई है उसकी शुरुआत मिशेल के ही ईमेल से हुई थी, जो उसने लंदन में बसी लॉ फर्म को किया था. इसी ईमेल से खुलासा हुआ कि यूएई की सरकार ने भारत सरकार की इसमें काफी मदद की. मिशेल जून से ही दुबई की जेल में बंद था.
24 मई, 2018 को मिशेल ने ब्रिटिश लॉ फर्म को लिखा था कि UAE की सीआईडी ने उसे बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया है. जब वहां गया तो उसकी मुलाकात यूएई के वकील से हुई, जहां यूएई के विदेश मंत्री भी थे. विदेश मंत्री ने ही इस मसले में मिशेल को सहयोग करने को कहा, जिससे भारत-यूएई के संबंध अच्छे हो सके. उसी दौरान एक भारतीय अधिकारी भी वहां मौजूद था.
ईमेल के मुताबिक, इसी भारतीय अधिकारी के पास इस मसले को हल करने की जिम्मेदारी थी. जो मिशेल का नाम आरोपियों की लिस्ट से हटवा सकता था. मिशेल के मुताबिक, उसे कहा गया था कि अगर वह एक 20 पेज का डॉक्यूमेंट साइन कर देता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. इतनी मुलाकात के बाद यूएई के विदेश मंत्री मिशेल को भारतीय अधिकारी के साथ बात करने के लिए छोड़ गए.
मिशेल ने इंडिया टुडे से भी इस बात को कन्फर्म किया था कि उसकी गिरफ्तारी से पहले हुई तीन बैठकों में से ये पहली बैठक थी. गौरतलब है कि क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने का श्रेय सीबीआई ने भी देश के मुख्य सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को दिया है.