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गोरखपुर में बच्चों की मौत पर बोले जेटली- ऐसी शर्मनाक घटना नहीं होनी चाहिए

जेटली का ये बयान कड़ा माना जा सकता है, क्योंकि यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि अगस्त महीने में आमतौर पर इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे मरते हैं और यह मौतें भी ऐसी ही हैं.

अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने गोरखपुर हादसे को शर्मनाक बताया है. जेटली ने कहा कि गोरखपुर जैसे शर्मनाक हादसे नहीं होने चाहिए. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मासूम बच्चों की मौतों ने हर किसी को झकझोर दिया था. गैस की कमी के कारण 2 दिन में करीब 30 बच्चों की मौत हुई थी. मौत का सिलसिला अभी तक रुका नहीं है. जानलेवा अगस्त 17 दिन में 203 लोगों की जान ले चुका है. ताजा आंकड़ों में 1 अगस्त से 17 अगस्त तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 203 मौतें हो चुकी हैं. इन 17 दिनों में 769 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए हैं.

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जेटली का ये बयान कड़ा माना जा सकता है, क्योंकि यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि अगस्त महीने में आमतौर पर इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे मरते हैं और यह मौतें भी ऐसी ही हैं. जबकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए और ये कोई पहली बार नहीं हुआ, कांग्रेस के कार्यकाल में भी हुए.

रिपोर्ट में लापरवाही का दावा

डीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल को ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश ने इसमें लापरवाही बरती है. रिपोर्ट में दावा है कि सतीश को लिखित रूप से अवगत भी कराया गया था, लेकिन उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में बाधा पैदा की. लिहाजा वह इसके लिए दोषी हैं. इसके अलावा स्टॉक बुक में लेन-देन का पूरा ब्योरा भी नहीं लिखा गया. सतीश की ओर से स्टॉक बुक का न तो अवलोकन किया गया और न ही उसमें हस्ताक्षार किया गया, जो सतीश की लापरवाही को दर्शाता है.

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मामला सामने आने के बाद कंपनी की ओर से यह दलील दी गई थी कि पिछले कई महीने से भुगतान नहीं मिलने के चलते ऑक्सीजन के सिलेंडर की सप्लाई बंद करनी पड़ी थी. ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स के यूपी डीलर मनीष भंडारी ने कहा था कि संभवतः ये मौतें ऑक्सीजन के लिए जरूरी सिलेंडर की कमी से नहीं, बल्‍कि हॉस्प‍िटल में सिलेंडर चेंज के दौरान लापरवाही से हुई हों. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन का पेमेंट के लिए प्रमुख सचिव को करीब 100 लेटर लिखें जा चुके है.

 

 

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