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किसानों की आत्महत्याएं निजी कारणों से किसान कर्ज से नहीं: कैलाश विजयवर्गीय

कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि जो-जो योजनाएं शिवराज सिंह चौहान ने घोषित किए हैं, वादे किए हैं, उन पर अमल होना चालू हो गया है. प्याज की खरीदी केंद्र का उद्घाटन किया. सारे प्रदेश में जो घोषणा की थी उस पर काम चालू हो गया है.

कैलाश विजयवर्गीय कैलाश विजयवर्गीय
अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2017,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST

बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि इन 3 किसानों ने आत्महत्या की है. वह कोई कर्ज के कारण नहीं बल्कि निजी कारणों से की है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हित के लिए जो-जो वादे किए हैं, वह अमल में लाए जा रहे हैं. कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि जो आत्महत्या किसानों ने की है उन पर कोई किसान कर्ज नहीं था. प्राइवेट काम के लिए कर्ज लिया है. मेरी जानकारी कह रही है कि जो मृत्यु हुई है वह निजी कारण है ना कि किसान कर्ज. इनकी आत्महत्या के लिए  निजी कारण हो सकते हैं, परिवारिक कारण हो सकता है, डिप्रेशन में जाने के कारण हो सकते हैं.

कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि जो-जो योजनाएं शिवराज सिंह चौहान ने घोषित किए हैं, वादे किए हैं, उन पर अमल होना चालू हो गया है. प्याज की खरीदी केंद्र का उद्घाटन किया. सारे प्रदेश में जो घोषणा की थी उस पर काम चालू हो गया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के सत्याग्रह पर कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि कांग्रेस को तो किसानों के लिए बात करने का अधिकार नहीं है. जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी और सिंधिया केंद्रीय मंत्री थे. किसान परेशान था, बिजली नहीं, सड़क नहीं, पानी नहीं था. किसान मध्यप्रदेश में रहता है कि यह देश को पता नहीं था. शिवराज सिंह की सरकार आई तब पता चला कि किसान मध्य प्रदेश में रहता है. किसानों के लिए शिवराज सिंह ने काफी कुछ किया है. दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री थे. उन्होंने क्या किया किसानों के लिए. दिग्विजय सिंह ने किसानों के लिए क्या किया. आज वह किस अधिकार से किसानों की बात कर रहे हैं.

लालू प्रसाद यादव के इलाज के लिए डॉक्टरों की टीम के बारे में कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि वहां जनता की कोई कीमत नहीं है. मतदाता है वोट दे. यही उनकी कीमत है. सरकार कल्याणकारी काम करे ऐसा दिखाई नहीं देता. एक राजनीतिक गिरोह वहां पर राज करता है. वही सत्ता का सुख भोगता है. आम आदमी परेशान है. शासकीय अमला और डॉक्टर कुछ लोगों की सेवा में लगा रहता है. जनता भुगत रही है.

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